iGrain India - नई दिल्ली । पिछले कुछ सप्ताहों से कालीमिर्च का भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा है क्योंकि अगला उत्पादन घटने की आशंका से दिसावरी व्यापारी, स्थानीय डीलर्स एवं निर्यातक इसकी खरीद करके बेहतर स्टॉक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
समझा जाता है कि दोनों प्रमुख उत्पादक राज्यों- कर्नाटक एवं केरल के महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों में बारिश की अनियमित अनिश्चित स्थिति के कारण कालीमिर्च की लताओं में दाना लगने में देर हो गई और उसका ठीक ढंग से विकास भी नहीं हो रहा है।
कालीमिर्च के नए माल की तुड़ाई-तैयारी आमतौर पर दिसम्बर में शुरू हो जाती है जबकि जनवरी से इसकी आवक की रफ्तार बढ़ने लगती है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक कोच्चि के टर्मिनल मार्केट में लम्बे समय तक कालीमिर्च का भाव 480-500 रुपए प्रति किलो के स्तर पर रुकने के बाद अब उछलकर अन गार्बल्ड श्रेणी का 603 रुपए प्रति किलो एवं गार्बल्ड श्रेणी का 623 रुपए प्रति किलो हो गया है।
स्मरणीय है कि वर्ष 2016 में वहां कालीमिर्च का दाम उछलकर 700 रुपए प्रति किलो के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था जिसके मुकाबले भाव अभी काफी नीचे है मगर जिस तरह का माहौल बन रहा है उसमें इसका मूल्य बढ़कर रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचना संभव हो सकता है।
दरअसल बाजार के तेज होते ही बड़े-बड़े उत्पादकों एवं स्टॉकिस्टों ने स्टॉक रोकना शुरू कर दिया है जिससे मार्केट में इसकी कमी महसूस हो सकती है और त्यौहारी सीजन में इसका दाम बढ़ सकता है। नया माल आने में काफी देर है।
वैसे भी ज्यादातर उत्पादन अपनी कालीमिर्च के अधिकांश स्टॉक को पहले ही बेच चुके हैं इसलिए कीमतों में हो रही वृद्धि का उन्हें ज्यादा लाभ नहीं मिल पाएगा। जिन उत्पादकों के पास माल का स्टॉक है उन्हें फायदा होने के आसार हैं। कीमतों में तेजी से विदेशी माल का आयात बढ़ने की संभावना है।
एक अग्रणी संस्था- भारतीय कालीमिर्च एवं मसाला व्यापार संघ (इप्सता) के अध्यक्ष का कहना है कि वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की कालीमिर्च गैर प्रतिस्पर्धी हो गई है क्योंकि इसका ऑफर मूल्य उछलकर 7700 डॉलर प्रति टन की उंचाई पर पहुंच गया है जो श्रीलंकाई माल के ऑफर मूल्य उछलकर 7700 डॉलर प्रति टन की ऊंचाई पर पहुंच गया है जो श्रीलंकाई माल के ऑफर मूल्य 6700 डॉलर प्रति टन से 1000 डॉलर प्रति टन तथा वियतनामी माल के ऑफर मूल्य 3700 डॉलर प्रति टन से 4000 डॉलर (दोगुने से अधिक) ज्यादा या ऊंचा है।
बेशक भारतीय कालीमिर्च की क्वालिटी अच्छी होती है और इसलिए इसका दाम भी कुछ ऊंचा रहता है लेकिन वर्तमान समय में मूल्यान्तर इतना अधिक बढ़ गया है कि विदेशी खरीदार ने इसका आयात करना लगभग बंद कर दिया है।
इप्सटा अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि जो समूह पहले जीरा एवं हल्दी के दाम को तेजी से बढ़ा रहा था वह अब कालीमिर्च के पीछे पड़ गया है और इसकी कीमतों को अनावश्यक रूप से बढ़ा रहा है।
उत्पादकों को डर है कि घरेलू प्रभाग में जारी ऊंची कीमतों को देखते हुए श्रीलंका से कालीमिर्च के आयात को बढ़ावा मिल सकता है। सरकार ने कालीमिर्च का न्यूनतम आयात मूल्य 500 रुपए प्रति किलो नियत कर रखा है जबकि घरेलू बाजार भाव इससे काफी ऊपर पहुंच गया है।