iGrain India - कीव । यूक्रेन में इस बार कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन संतोषजनक रहने की संभावना नहीं है। एक तो ख़राब मौसम के कारण वहां गेहूं सहित अन्य अनाजों की पैदावार एवं क्वालिटी प्रभावित होने की संभावना है और दूसरे, रूस की वजह से इसका निर्यात भी अनिश्चत हो गया है।
दरअसल जुलाई 2022 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मध्यस्ता एवं तुर्की के राष्ट्रपति की उपस्थिति में रूस- यूक्रेन के बीच अनाज निर्यात नौवहन करार हुआ था।
इसके तहत रूस ने कुछ शर्तों के साथ युक्रेन को काला सागर क्षेत्र के बंदरगाहों से प्रति माह 50 लाख टन खाद्यान्न के निर्यात शिपमेंट के लिए सुरक्षित कोरीडोर (समुद्र मार्ग) उपलब्ध करवाया था लेकिन एक साल का समय बीतने के बावजूद जब रूस की एक भी शर्त पूरी नहीं हुई तब उसने न केवल करार भंग कर दिया बल्कि यूक्रेन में गहरे पानी के सबसे बड़े बंदरगाह- ओडेसा पर जबरदस्त बमबारी करके वहां बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया।
जब यूक्रेन ने डेन्यूब नदी पर बने बंदरगाहों से अनाज के निर्यात शिपमेंट का प्रयास किया तो रूस ने वहां भी गोले बरसाकर अनाज के गोदामों तथा बंदरगाह के आसपास के क्षेत्रों को भारी क्षति पहुंचाई।
उधर यूरोपीय संघ ने यूक्रेन की सीमा से लगे अपने पांच सदस्य देशों में यूक्रेनी गेहूं, मक्का एवं रेपसीड आदि के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
यूक्रेन अब यूरोपीय संघ अमरीका, संयुक्त राष्ट्र संघ तथा तुर्की से गुहार लगा रहा है कि वह रूस पर दबाव डालकर यूक्रेनी अनाज के लिए रास्ता खोलने का प्रबंध करे मगर उसकी पहले की भारी गलतियों एवं मनमानी को देखते हुए कोई भी देश सीधे रूस पर दबाव बनाने से हिचक रहा है।
यूक्रेन गेहूं, जौ, मक्का एवं सूरजमुखी तेल के अग्रणी निर्यातक देशों में शामिल है इसलिए यदि वहां से इन कृषि उत्पादों के निर्यात में बाधा पड़ी तो इसके वैश्विक बाजार मूल्य में उछाल आ सकता है।