iGrain India - जकार्ता । इंडोनेशिया, मलेशिया एवं यूरोपीय संघ (ईयू) पाम तेल कारोबार का मुद्दा सुलझाने हेतु एक टास्क फ़ोर्स का गठन करने पर सहमत हो गए हैं।
यूरोपीय संघ ने जंगल सफाया संबंधी जो नियम (ईयूडीआर) बनाया है उसे लागू करने से सम्बन्धित मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए इस कार्यबल का गठन किया गया है।
मालूम हो कि यूरोपीय संघ का कहना है कि इंडोनेशिया एवं मलेशिया में बड़े पैमाने पर जंगलों (प्राकृतिक वन) को साफ करके वहां पाम के बागान लगाए गए हैं जिससे जंगली जीव-जंतु एवं वनस्पतियों के लिए जगह खत्म होती जा रही है।
इसी तरह गरीब किसानों से कृषि योग्य भूमि खरीदकर उसमें पाम के बागान लगाए गए हैं जिससे उसकी आजीविका को खतरा पैदा हो गया है। यूरोपीय संघ इसका विरोध करता है और इसलिए उसने इन बागानों में उत्पादित ऑयल पाम से निर्मित पाम तेल पर यूरोपीय संघ में प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।
दूसरी तरफ इंडोनेशिया और मलेशिया यूरोपीय संघ के उस निर्णय का विरोध कर रहा है। ज्ञात हो कि दुनिया में पाम तेल के उत्पादन एवं निर्यात में इंडोनेशिया पहले और मलेशिया दूसरे नम्बर पर है।
वहां से यूरोपीय संघ को अच्छी मात्रा में पाम तेल का वार्षिक निर्यात होता है और इसलिए वह इस महत्वपूर्ण बाजार को खोना नहीं चाहता है। इसके अलावा उसे भय है कि यदि यूरोपीय संघ में यह निर्णय लागू हो गया तो कुछ और देश इसके आधार पर पाम तेल का आयात रोक सकते हैं।
इंडोनेशिया और मलेशिया पहले ही कह चुका है कि अब जंगलों के स्थान पर या खेती वाली जमीन पर पाम के बागान नहीं लगाए जा रहे हैं और सरकार ने इसके लिए सख्त कानून भी बनाया है लेकिन यूरोपीय संघ अपने निर्णय को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है।