iGrain India - नई दिल्ली । चालू माह के आरंभ से ही देश के अनेक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मानसून विश्राम की अवस्था में है जिससे वहां वर्षा बहुत कम या नगण्य हुई।
इस अवधि में पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड में जोरदार बारिश हुई जबकि देश का अन्य भाग आमतौर पर वर्षा से लगभग वंचित रहा।
मौसम विभाग के मुताबिक 1 से 14 अगस्त के बीच राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत से 36 प्रतिशत कम वर्षा हुई जबकि वर्षा की यह कमी देश के पश्चिमोत्तर, मध्यवर्ती एवं दक्षिणी भाग में तो 70 प्रतिशत तक पहुंच गई।
इस अवधि में मानसून न केवल हिमालय के तराई वाले भागों एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में ही सक्रिय रहा और वहां कुल मिलाकर अच्छी बारिश हो गई।
अब देश के अन्य क्षेत्रों में भी मानसून की गतिविधि तेज होना आवश्यक है क्योंकि खरीफ फसलों की बिजाई सामान्य औसत क्षेत्रफल के सापेक्ष करीब 90 प्रतिशत भाग में पूरी हो चुकी है और फसल की प्रगति के लिए मौसम तथा मानसून का अनुकूल होना जरुरी है क्योंकि तभी बेहतर उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है।
चालू खरीफ सीजन के लिए केन्द्र सरकार ने देश में कुल 1580.60 लाख टन खाद्यान्न के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसमें 1110 लाख टन चावल, 90.90 लाख टन दलहन 139.70 लाख टन श्री अन्न (पोषक अनाज) तथा 240 लाख टन मक्का के उत्पादन का लक्ष्य शामिल है।
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल वर्षा के अभाव की कोई खास चिंता नहीं है लेकिन कुछ फसलों पर कीड़ों-रोगों का बढ़ता प्रकोप अवश्य चिंता का कारण बना हुआ है।
आसाम में जूट तथा पंजाब में कपास एवं धान की फसल पर कीड़ों-रोगों का प्रकोप लगातार गंभीर होता जा रहा है। इसी तरह महाराष्ट्र में मक्का की फसल को फाल आर्मीवर्म कीट से नुकसान हो रहा है।
पंजाब में बाढ़-वर्षा से धान की फसल को पहले काफी क्षति हो चुकी है। अभी बीज और खाद की पर्याप्त उपलब्धता बनी हुई है और किसी राज्य से इसकी कमी होने की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। लेकिन खरीफ फसलों की बिजाई का आदर्श समय तेजी से समाप्त होता जा रहा है।