iGrain India - नई दिल्ली । एक अग्रणी व्यापार विश्लेषक का कहना है कि मांग के मोर्चे पर यह देखना जरूरी होगा कि दीपावली के दौरान जीरे की बल्क खरीदारी की रफ्तार कैसी रहती है।
अगर इसकी गति सामान्य से तेज रही तो जीरा का भाव उछलकर 700-750 रुपए प्रति किलो के ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है लेकिन एक बार जब इसमें गिरावट का दौर शुरू होगा तो उसकी रफ्तार भी काफी तेज रह सकती है।
जीरा का उत्पादन इस बार सामान्य से अधिक बारिश के कारण घट गया जबकि इसका पिछला स्टॉक भी कम बचा था इसलिए मांग एवं जरूरत के अनुरूप उसकी आपूर्ति नहीं हो रही है। कीमतों में बढ़ोत्तरी को देखते हुए उत्पादकों एवं स्टॉकिस्टों ने माल रोकना शुरू कर दिया जिससे मामला और भी उलझ गया।
विश्लेषक के अनुसार वर्ष 2008 में कालीमिर्च तथा वर्ष 2010 में ग्वार के बाजार में जो माहौल बना था वही परिदृश्य इस बार जीरा बाजार में देखने को मिल सकता है। इसके दाम में रिकॉर्ड तेजी आई थी लेकिन जब गिरावट का दौर आरंभ हुआ तो इसमें भयंकर गिरावट भी आ गई थी।
आमतौर पर दीपावली तक जीरा के दाम में 2000-3000 रुपए प्रति क्विंटल तक की और बढ़ोत्तरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन यह मांग एवं आपूर्ति के समीकरण पर निर्भर करेगा।
इसके साथ-साथ अक्टूबर-नवम्बर के दौरान इसकी होने वाली बिजाई भी कीमतों को प्रभावित करेगी। समझा जाता है कि तब तक सीरिया, तुर्की एवं ईरान में जीरा का स्टॉक काफी घट जाएगा और आयातक देशों की निर्भरता भारत पर बढ़ने लगेगी।
फिलहाल जीरा के दाम में भारी बढ़ोत्तरी होने का केवल अनुमान लगाया गया है जो विभिन्न कारणों एवं कारकों पर आधारित है इसलिए इस पर शत-प्रतिशत भरोसा करना मुश्किल है।
लेकिन जो हालात बन रहे हैं उसे देखते हुए लगता है कि आगामी दो-तीन महीनों तक जीरा के दाम में तेजी-मजबूती का रुख बरकरार रह सकता है।