iGrain India - हैदराबाद । दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- तेलंगाना में यद्यपि शुरूआती दौर में मानसूनी वर्षा की कमी के कारण खरीफ फसलों की बिजाई की गति सुस्त रही थी लेकिन बाद में वहां अच्छी वर्षा होने लगी और इसके साथ-साथ बिजाई की गति भी तेज हो गई। चालू खरीफ सीजन के दौरान तेलंगाना में धान का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
सिर्फ नागार्जुन सागर अयाकुट क्षेत्र को छोड़कर तेलंगाना के लगभग सभी शेष जिलों में पिछले तीन सप्ताहों के दौरान सामान्य औसत से अधिक बारिश दर्ज की गई जिससे खासकर धान की खेती बहुत जोर-शोर से हो रही है।
राज्य सरकार को तेलंगाना में धान का कुल उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के मुकाबले 2-3 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस बार 26 लाख हेक्टेयर से भी ऊपर पहुंच जाने की उम्मीद है जो एक नया रिकॉर्ड होगा।
समझा जाता है कि राज्य में चावल की मांग काफी अच्छी है जबकि कपास का भाव ज्यादा उत्साहवर्धक नहीं है इसलिए अनेक किसान कपास को छोड़कर धान की खेती को प्राथमिकता दे सकते हैं। कपास का रकबा घटकर 18.20 लाख हेक्टेयर पर सिमट जाने की संभावना है।
राज्य कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार तेलंगाना में धान का उत्पादन क्षेत्र अब तक 16 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है जो पिछले साल की समान अवधि के क्षेत्रफल 12 लाख हेक्टेयर से काफी अधिक है।
स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई थी कि चालू खरीफ सीजन के दौरान राज्य में धान का कुल रकबा बढ़कर 26 लाख हेक्टेयर से आगे निकल जाएगा।
उनका कहना था कि वर्तमान समय में तेलंगाना में करीब 3 करोड़ टन धान का वार्षिक उत्पादन हो रहा है और जब पालामुरु रंगारेड्डी लिफ्ट सिंचाई परियोजना तैयार हो जाएगी तब राज्य में धान का सालाना उत्पादन बढ़कर 4 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा।
तेलंगाना में शेष 26 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में कपास (करीब 20 लाख हेक्टेयर), मक्का, मिलेट्स, अरहर (तुवर), लालमिर्च एवं अन्य खरीफ फसलों की खेती होने की संभावना है।