iGrain India - नागौर । यद्यपि मध्य जून में आए बिपरजॉय तूफान और 2 जुलाई को पहुंचे मानसून के कारण राजस्थान में इस बार काफी अच्छी वर्षा होने से किसानों को सही समय पर खरीफ फसलों की बिजाई शुरू करने और इसका क्षेत्रफल बढ़ाने का अवसर मिल गया लेकिन अगस्त के मौसम ने उसे गंभीर चिंता में डाल दिया है।
राजस्थान के कई अन्य जिलों के साथ-साथ नागौर जिले में भी पिछले 16-17 दिन से बारिश का अभाव होने विपरीत हवा चलने तथा मौसम शुष्क एवं गर्म रहने से मूंग, ज्वार, बाजरा, मोठ तथा ग्वार आदि की फसल बुरी तरह झुलसने लगी हैं।
किसानों एवं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अगले दो-चार दिन में अच्छी वर्षा नहीं हुई तो फसलें इस कदर खराब हो सकती हैं कि इससे लागत खर्च निकालना भी मुश्किल हो जाएगा।
नागौर जिले के अनेक गांवों में उपरोक्त खरीफ फसलों की अच्छी बिजाई हुई और जुलाई तक फसल की प्रगति में भी बाधा नहीं पड़ी। लेकिन अगस्त का महीना शुरू होते ही मानसून गायब हो गया और वहां नाड़ा टांगण हवा चलने लगी।
इससे फसलों के सूखने-झुसलने का खतरा बढ़ गया। नागौर जिले में मूंग की शानदार बिजाई हुई और फसल की हालत भी पहले बेहतर होने से इसके बम्पर उत्पादन की उम्मीद की जा रही थी।
यदि एक आखिरी दौर की अच्छी बारिश हो जाती तो किसानों को भारी राहत मिल सकती थी मगर आसमान तो बादलों से बिल्कुल खाली हो गया है। मौसम विभाग ने भी निकट भविष्य में वहां अच्छी बारिश होने की संभावना नहीं जताई है।
कुछ क्षेत्रों में मूंग की 60 से 80 प्रतिशत तक फसल खतिग्रस्त हो चुकी है। यही हाल ज्वार की फसल का है जो झुलसकर लाल हो गई है। इसके सूखने का खतरा बढ़ गया है जिससे किसानों को चारा की कमी का भी सामना करना पड़ सकता है।
किसानों का कहना है कि मूंग की खेती पर लागत खर्च काफी बढ़ गया है लेकिन इस बार उत्पादन काफी घट सकता है जिससे उसकी कमाई बुरी तरह प्रभावित होगी। मालूम हो कि राजस्थान देश में खरीफ कालीन मूंग का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है।