iGrain India - मुम्बई । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि यद्यपि अगस्त में देश में अधिकांश हिस्सों में दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश बहुत कम होने से खरीफ फसलों के लिए खतरा बढ़ गया है लेकिन कई क्षेत्रों में सिंचाई की अच्छी सुविधा होने से फसलों पर सीमित असर ही पड़ने की संभावना है।
दरअसल जुलाई में काफी अच्छी वर्षा होने से बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर ऊंचा हो गया जिससे फसलों में सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता बढ़ जाएगी।
प्रमुख खरीफ फसलों की ऐसी प्रजातियों या किस्मों का भी विकास हुआ है जिसमें मानसून की बारिश में उतार-चढ़ाव को सहने की बेहतर क्षमता है।
आरबीआई के एक बुलेटिन में कहा गया है कि अधिकांश राज्यों में अधिक से अधिक कृषि क्षेत्र तक सिंचाई सुविधाओं का विकास-विस्तार किया गया है और अब भी किया जा रहा है।
यद्यपि दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा का असर सांख्यिकी (आंकड़ों) की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता है और नियत वर्षों में बारिश की कमी से फसलों का उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित होता रहा है लेकिन अब परिदृश्य में काफी सुधार आ गया है।
बारिश की कमी प्रमुख बिजाई अवधि में ज्यादा नहीं रही। एक ओर खास बात यह है कि अगस्त में वर्षा का अभाव इन इलाकों में ज्यादा देखा जा रहा है जहां सिंचाई की बेहतर सुविधा मौजूद है। इसके विपरीत वर्षा पर आश्रित क्षेत्रों में बारिश की कमी ज्यादा गंभीर नहीं है।
मगर वर्षा के अभाव की अवधि में भी फसलों को सिंचाई के लिए अच्छी मात्रा में और सही समय पर पानी उपलब्ध हो गया तो उसकी प्रगति में विशेष अवरोध उत्पन्न नहीं होगा और न ही कुल पैदावार में ज्यादा गिरावट आएगी।
यह सही है कि पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं तेलंगाना जैसे प्रांतों में सिंचाई सुविधा की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है और वहां धान, कपास, गन्ना तथा दलहन-तिलहन फसलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
दूसरी ओर देश के पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भाग में धान का भारी उत्पादन होता है। वहां जुलाई में वर्षा का अभाव रहा मगर अगस्त में मानसून की सक्रियता बढ़ गई। इसके बावजूद कुछ क्षेत्र अभी तक सूखे की चपेट में फंसे हुए हैं।