iGrain India - रायपुर । तीन वर्षों तक दक्षिणी ब्राजील में ला नीना मौसम चक्र का प्रभाव रहने से किसानों को समस्या का सामना करना पड़ा जबकि चालू वर्ष के दौरान अल नीनो मौसम चक्र के कारण वहां अच्छी बारिश होने तथा किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है।
दूसरी ओर मध्यवर्ती ब्राजील में अल नीनो की वजह से मौसम काफी गर्म एवं शुष्क रहने की संभावना है जिससे कृषि उत्पादक पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। ज्ञात हो कि यह संभाग ब्राजील का सबसे प्रमुख कृषि उत्पादक क्षेत्र माना जाता है।
ध्यान देने की बात है कि मध्यवर्ती ब्राजील में ही माटो ग्रोसो प्रान्त स्थित है जो सोयाबीन एवं मक्का सहित सबसे प्रमुख कृषि उत्पादक प्रान्त है। वहां अगले महीने के मध्य से फसलों की बिजाई आरंभ होने वाली है।
ब्राजील में अल नीनो धीरे-धीरे मजबूत होकर वर्ष के अंत तक गंभीर अवस्था में पहुंच सकता है और कम से कम फरवरी तक इसका प्रकोप एवं प्रभाव बरकरार रहने की संभावना है। इस बीच वहां फसलों की प्रगति का समय रहेगा।
आमतौर पर जनवरी के दूसरे-तीसरे सप्ताह से ब्राजील में फसलों की कटाई-तैयारी आरंभ हो जाती है। अल नीनो के कारण सामान्यतः ब्राजील के उत्तरी एवं मध्यवर्ती क्षेत्र में बारिश सामान्य स्तर से कम होती है जबकि तापमान सामान्य स्तर से ऊंचा रहता है।
सितम्बर से नवम्बर की तिमाही में जब माटो ग्रोसो एवं गोईआस सहित अन्य समीपवर्ती राज्यों में सोयाबीन एवं मक्का सहित अन्य फसलों की जोरदार बिजाई का समय रहेगा तब वहां मौसम शुष्क एवं गर्म रह सकता है।
यदि अल नीनो के इस अवधि में सक्रिय रहने का अनुमान सही साबित होता है तो ब्राजील में सोयाबीन की बिजाई में देर हो सकती है और फसल के विकास में बाधा पड़ सकती है।
माटो ग्रोसो एवं गोईआस प्रान्त में सितम्बर-अक्टूबर के दौरान सोयाबीन तथा मक्का की बिजाई जोर शोर से होती है। नवम्बर से उसमें फूल और दाने लगना तथा दिसम्बर-जनवरी में दाना पुष्ट होना शुरू हो जाता है।
यदि सामान्य या आदर्श समय के बाद वहां सोयाबीन की बिजाई हुई तो इससे औसत उपज दर पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा फसल की कटाई-तैयारी में देर होने पर सफरीन्हा मक्का की बिजाई प्रभावित हो सकती है क्योंकि सोयाबीन फसल की कटाई के तुरंत बाद इसकी प्रक्रिया शुरू होती है।
यदि प्रगति के दौरान मौसम अनुकूल नहीं रहा तो 2023-24 के सीजन के दौरान ब्राजील में सोयाबीन का उत्पादन उम्मीद से काफी कम हो सकता है। मालूम हो कि ब्राजील दुनिया में सोयाबीन का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है।