iGrain India - कोयम्बटूर । सॉदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन (सीमा) ने कहा है कि केन्द्र सरकार की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने जो आंकड़ा प्रस्तुत किया है उससे पता चलता है कि चालू मार्केटिंग सीजन में अक्टूबर 2022 से अब तक मंडियों में कपास की कुल आवक 318 लाख गांठ से भी अधिक हुई।
यदि यह आंकड़ा सही है तो कहा जा सकता है कि मंडियों में कपास की अब तक की आपूर्ति संतोषजनक रही है। सीमा के चेयरमैन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस तरह की सूचना आ रही है कि 2022-23 सीजन के दौरान देश में 311.18 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) कपास का उत्पादन हुआ है।
यह संभवतः जिनिंग वाली रूई का उत्पादन आंकड़ा हो सकता है। कपास उत्पादन एवं उपयोग समिति ने 2022-23 के सीजन में 343 लाख गांठ कपास के घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया है जबकि पिछले बकाया स्टॉक 39.48 लाख गांठ आंका है। इस समिति द्वारा प्रस्तुत किया गया आंकड़ा ही उद्योग- व्यापार क्षेत्र के लिए बेंचामार्क माना जाना चाहिए। इस समिति में सभी पक्षों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
पिछले कुछ दिनों के अंदर रूई का बाजार भाव 3000 रुपए बढ़कर अब 60,000 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) से ऊपर पहुंच गया है। इसका कारण आगामी सीजन में उत्पादन कमजोर होना बताया जा रहा है।
भारतीय वस्त्र उद्योग को कुछ समस्याओं एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि एक तो घरेलू प्रभाग में रूई के दाम में भारी उतार-चढ़ाव का माहौल रहता है और दूसरे, इसके आयात पर 11 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा हुआ है।
रेडीमेड वस्त्र सहित कॉटन टेक्सटाइल का सकल निर्यात 2022-23 के वित्त वर्ष में 23 प्रतिशत घट गया जो चालू वर्ष की पहली तिमाही के दौरान भी इसमें 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
उद्योग के लिए उचित मूल्य पर नियमित रूप से कपास की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता की चुनौती मौजूद है इसलिए विदेशों से इसके शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने की मांग की जा रही है।