iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने महज 15 दिनों के अंदर दूसरी बार तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए एथनॉल का क्रय मूल्य बढ़ा दिया है जिससे डिस्टीलरीज को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।
दरअसल सरकार नहीं चाहती है कि पेट्रोल में 12 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने में कोई बाधा उत्पन्न हो। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा रियायती मूल्य पर डिस्टीलरीज को चावल की आपूर्ति रोके जाने से यह आशंका बढ़ती जा रही थी कि खाद्यान्न पर आधारित डिस्टीलरीज में एथनॉल का उत्पादन घट सकता है।
कुछ इकाइयां बंद भी हो गई थीं जबकि कई अन्य प्लांटों को खुले बाजार से अपेक्षाकृत ऊंचे दाम पर चावल खरीदने के लिए विवश होना पड़ रहा था।
एक अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने क्षतिग्रस्त / टूटे चावल तथा मक्का से निर्मित एथनॉल का दाम 3.71 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिया है। यह बढ़ा हुआ मूल्य तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार के इस निर्णय से डिस्टीलरीज को एथनॉल का उत्पादन जारी रखने में सहायता मिलेगी। इससे पूर्व 7 अगस्त को सरकार ने क्षतिग्रस्त / टूटे चावल से निर्मित एथनॉल के दाम में 4.75 रुपए प्रति लीटर तथा मक्का से निर्मित एथनॉल के मूल्य में 6.01 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की थी।
अब 22 अगस्त को हुई वृद्धि के बाद डिस्टीलरीज को अतिरिक्त प्रोत्साहन मिल जाएगा। इसके साथ ही अब चावल से उत्पादित एथनॉल का दाम बढ़कर 64 रुपए प्रति लीटर तथा मक्का से निर्मित एथनॉल का मूल्य बढ़कर 66.07 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है जो सीजन के लिए आरंभिक चरण में निर्धारित मूल्य से 15-17 प्रतिशत अधिक है।
चालू मार्केटिंग सीजन में 31 जुलाई 2023 तक तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल में 11.77 प्रतिशत पेट्रोल के मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया था और ऐसा लग रहा था कि जल्दी ही 12 प्रतिशत का निर्यात लक्ष्य भी प्राप्त हो जाएगा।
लेकिन अचानक खाद्य निगम ने डिस्टीलरीज को अपने स्टॉक से रियायती मूल्य पर चावल की आपूर्ति बंद करने की घोषणा कर दी। दिसम्बर 2022 से वर्तमान मार्केटिंग सीजन आरंभ हुआ जिसे सरकार ने 12 माह से घटाकर 11 माह नियत किया है।
इसका मतलब यह हुआ कि एथनॉल का मौजूदा मार्केटिंग सीजन नवम्बर के बजाए अक्टूबर में ही समाप्त हो जाएगा। इसके बाद का मार्केटिंग सीजन नवम्बर से आरंभ होकर अक्टूबर तक चलता रहेगा।