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खाद्य तेलों के बढ़ते आयात पर अंकुश लगाने हेतु गंभीर प्रयास की जरूरत

प्रकाशित 24/08/2023, 05:13 pm
© Reuters. खाद्य तेलों के बढ़ते आयात पर अंकुश लगाने हेतु गंभीर प्रयास की जरूरत
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iGrain India - मुम्बई । जुलाई में खाद्य तेलों के हुए रिकॉर्ड आयात ने सबको चौंका दिया क्योंकि उस समय देश में न तो पर्व-त्यौहारों का सीजन था और न ही ठंड का मौसम था। दरअसल जब भी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भाव नरम पड़ता है तब भारत में आयातित खाद्य तेलों की बाढ़ आ जाती है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई 2023 के दौरान देश में क्रूड पाम तेल का आयात उछलकर 8.41 लाख टन तथा आरबीडी पामोलीन का आयात बढ़कर 2.37 लाख टन पर पहुंच गया।

पाम संवर्ग के खाद्य तेलों का कुल आयात 10.86 लाख टन पर पहुंचा। सॉफ्ट तेलों के संवर्ग में जून के मुकाबले जुलाई में क्रूड डिगम्ड सोयाबीन तेल के आयात में गिरावट दर्ज की गई मगर क्रूड सूरजमुखी तेल का आयात बढ़ गया।

पहले से ही देश में पर्याप्त स्टॉक मौजूद होने के बावजूद खाद्य तेलों का आयात बढ़ता जा रहा है। चालू मार्केटिंग सीजन (नवम्बर 2022- अक्टूबर 2023) के दौरान खाद्य तेलों का कुल आयात उछलकर 150 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने की संभावना है जो गहरी चिंता का विषय है।

खाद्य तेलों के आयात पर विशाल बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च होती है और इसको नियंत्रित करना अत्यन्त आवश्यक है। यद्यपि सरकार विदेशी खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए तरह-तरह से प्रयास कर रही है लेकिन अनेक कारणों से इसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिल रहे है।

इस बार सरसों का उत्पादन बेहतर हुआ तो बाजार भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे आ गया। पहले सरकार ने सरसों की खरीद में कोई खास सक्रियता नहीं दिखाई और जब हंगामा होने लगा तब खरीद की प्रक्रिया आरंभ हुई।

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तब तक किसान अपना अधिकांश उत्पाद नीचे दाम पर बेचने के लिए बाध्य हो गए। मूंगफली और सोयाबीन का बाजार भाव भी नीचे आ गया। इससे किसान हतोत्साहित हो रहे हैं।

एक और महत्वपूर्ण तथ्य खाद्य तेलों पर आयात शुल्क का ढांचा है। जब वैश्विक बाजार भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा था तब सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को तेजी से घटा दिया ताकि आम उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।

इसी तरह जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव नरम पड़ा तब आयात शुल्क बढ़ना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसा लगता है कि अगले साल लोकसभा का चुनाव सम्पन्न होने तक आयात शुल्क में यथा स्थिति बरकरार रह सकती है।

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