iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि बिहार के कई जिलों में आज यानी 24 अगस्त को अच्छी बारिश हुई है और पिछले दिनों दिल्ली- एनसीआर में भी वर्षा हुई थी लेकिन इसके बावजूद देश के कई राज्यों में खरीफ फसलों को अच्छी बारिश की सख्त आवश्यकता महसूस हो रही है।
अगस्त के अधिकांश दिनों में वहां वर्षा नहीं या नगण्य हुई जिससे फसलों की प्रगति में बाधा पड़ रही है। शुष्क और गर्म मौसम अभी खरीफ फसलों के लिए अनुकूल नहीं है।
मौसम विभाग ने अगस्त में कम वर्षा होने की संभावना व्यक्त की थी लेकिन बारिश इतनी कम होगी, इसका अनुमान नहीं लगाया था। हिन्द महासागर में निर्मित घनात्मक डायपोल मानसून की तीव्रता एवं सघनता बढ़ाने में सहायक हो सकता है लेकिन इससे सीमित क्षेत्रों में ही वर्षा संभव हो सकेगी जबकि देश के लगभग सभी राज्यों को बारिश की जरूरत है।
अब सबकी उम्मीदें सितम्बर के मानसून पर टिकी हुई हैं जो आमतौर पर इसके प्रस्थान का महीना माना जाता है। अपनी वापसी यात्रा के दौरान कई बार मानसून काफी सक्रिय रहता है जिससे अनेक राज्यों में भारी वर्षा हो जाती है।
पिछले साल महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में सितम्बर-अक्टूबर के दौरान जोरदार बारिश होने से तुवर की फसल को काफी नुकसान हुआ था। सितम्बर के अंत तक मानसून भारत में ही डरा हुआ था और अक्टूबर में इसकी पूर्ण विदाई हुई थी जब उत्तर-पूर्व मानसून देश में सक्रिय हुआ था।
सितम्बर की वर्षा भी खरीफ फसलों और खासकर धान की फसल को फायदा पहुंचाएगी लेकिन दलहन-तिलहन (मूंग एवं सोयाबीन आदि) की अगैती बिजाई वाली फसल के लिए यह नुकसानदायक साबित हो सकती है क्योंकि उस समय कहीं-कहीं इसकी कटाई-तैयारी शुरू हो जाती है।
मानसून की वर्षा का वितरण इस बार काफी हद तक असमान रहा है जिससे कुछ खरीफ फसलों की बिजाई प्रभावित हुई। इसमें दलहन फसलें मुख्य रूप से शामिल हैं।
वैसे कुल मिलाकर खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र संतोषजनक है और धान तथा मक्का आदि के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन इन फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए आगे मौसम का अनुकूल रहना आवश्यक है।