iGrain India - नई दिल्ली । देश के अधिकांश प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस बार खरीफ कालीन मक्का का बिजाई क्षेत्र या तो गत वर्ष से आगे या उसके आसपास चल रहा है और आमतौर पर फसल की हालत संतोषजनक बनी हुई है।
यदि आगे मौसम एवं मानसून अनुकूल रहा तो इस महत्वपूर्ण अनाज का उत्पादन बेहतर हो सकता है। पिछले सप्ताह तक जिन राज्यों में मक्का का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से आगे चल रहा था उसमें मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, झारखंड एवं तेलंगाना मुख्य रूप से शामिल हैं जबकि राजस्थान एवं गुजरात जैसे प्रांतों में मक्का का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के लगभग बराबर ही दर्ज किया गया।
राष्ट्रीय स्तर पर इस बार 18 अगस्त तक मक्का का कुल रकबा बढ़कर 81.24 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जबकि पिछले साल की समान अवधि में 79.41 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था। मक्का की बिजाई प्रक्रिया अधिकांश क्षेत्रों में पूरी हो चुकी है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार 2022-23 के सीजन में मक्का का घरेलू उत्पादन तेजी से बढ़कर 359.10 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इस बार बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के संकेत मिल रहे हैं और यदि मौसम की अनुकूल स्थिति का सहारा मिला तो इसके उत्पादन में इजाफा हो सकता है।
लेकिन मक्का की फसल पर अक्सर फाल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप बना रहता है जिससे इसकी पैदावार प्रभावित होने की आशंका रहती है। यद्यपि इसकी रोकथाम या नियंत्रण के लिए उपाय मौजूद है मगर वह खर्चीला है और उसे अपनाने पर प्रति एकड़ 3-4 हजार रुपए का खर्च बैठता है।
भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के निदेशक का कहना है कि फसल की हालत अच्छी है इसलिए इसका उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद की जा रही है।
पिछले खरीफ सीजन में मक्का का कुल उत्पादन क्षेत्र 81.50 लाख हेक्टेयर के करीब रहा था जबकि चालू सीजन में 18 अगस्त तक 81.24 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
अगस्त में वर्षा का अभाव होने से फसल के प्रति कुछ चिंता बढ़ने लगी थी लेकिन अब स्थिति सामान्य हो जाने की उम्मीद है क्योंकि देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों में अच्छी बारिश होने लगी है।