iGrain India - नई दिल्ली । देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों के महत्वपूर्ण इलाकों में दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश कम एवं देर से होने तथा किसानों द्वारा अन्य फसलों की खेती पर ज्यादा ध्यान दिए जाने से इस बार सूरजमुखी के बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आ गई है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार पिछले साल 18 अगस्त तक राष्ट्रीय स्तर पर सूरजमुखी का उत्पादन क्षेत्र 1.85 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा था जो चालू खरीफ सीजन की समान अवधि में करीब 64 प्रतिशत से बढ़कर 66 हजार हेक्टेयर रह गया।
सूरजमुखी के बिजाई क्षेत्र में जोरदार गिरावट सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- कर्नाटक में आई है जहां इस बार वर्षा देर से शुरू हुई और इसकी मात्रा कम रही।
2022-23 के मार्केटिंग सीजन में सूरजमुखी का बाजार भाव सरकारी समर्थन मूल्य से नीचे रहने के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ था और उसे इसकी समुचित भरपाई नहीं हो सकी इसलिए अनेक किसानों ने इस बार सूरजमुखी को छोड़कर मक्का एवं दलहनों की खेती पर ज्यादा ध्यान दिया।
कर्नाटक में पिछले साल 1.59 लाख हेक्टेयर में 18 अगस्त तक सूरजमुखी की बिजाई हो चुकी थी मगर इस बार क्षेत्रफल 59 हजार हेक्टेयर तक ही पहुंच सका।
चालू मानसून सीजन के दौरान अब तक दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में 27 प्रतिशत तथा उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में 6 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। इसी तरह इससे सटे आंध्र प्रदेश के रायल सीमा संभाग में वर्षा की कमी 30 प्रतिशत दर्ज की गई।
वहां सूरजमुखी का क्षेत्रफल गत वर्ष के 5 हजार हेक्टेयर से गिरकर 2 हजार हेक्टेयर रह गया। तमिलनाडु में भी इसका रकबा 3 हजार हेक्टेयर से गिरकर 1 हजार हेक्टेयर पर सिमट गया है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सूरजमुखी मुख्यत: वर्षा पर आश्रित फसल है इसलिए उत्पादक क्षेत्र में बारिश की कमी से इसका क्षेत्रफल घटना स्वाभाविक ही है।
उम्मीद की जा रही है कि यदि आगामी महीनों में अच्छी वर्षा हुई तो रबी सीजन में सूरजमुखी के उत्पादन क्षेत्र में अच्छा सुधार आ सकता है।