iGrain India - हैदराबाद । दक्षिणी राज्य- तेलंगाना में किसान फसलों के चुनाव में बदलाव का संकेत देने लगे हैं। उनका ध्यान अब अन्य फसलों के बजाए धान की खेती पर ज्यादा है क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद की गारंटी रहती है।
इसके फलस्वरूप वहां दलहनों के बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन में गिरावट आने लगी है। हालांकि विभिन्न दाल-दलहनों के बाजार भाव में भी पिछले कई महीनों से तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है और तुवर दाल का भाव उछलकर 160-170 रुपए प्रति किलो तथा मूंग दाल का दाम बढ़कर 120-130 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है लेकिन फिर भी किसान इसकी खेती की तरफ ज्यादा आकर्षित नहीं हो रहे हैं।
कृषक समुदाय के अनुसार कई कारणों से इस बार दलहनों के बिजाई क्षेत्र में कमी आई है जिसमें सही समय पर अच्छी वर्षा नहीं होना भी शामिल है।
राज्य कृषि विभाग के अनुसार यह सही है कि इस बार कर्नाटक में मानसून की सक्रियता देर से शुरू हुई जिससे दलहनों की खेती में बाधा उत्पन्न हुई।
इसके साथ-साथ यह भी सही है कि फसलों का चुनाव करना किसानों का अपना फैसला होता है और वे मुख्यत: धान तथा कपास की खेती को प्राथमिकता देते हैं।
कृषि विभाग के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में अगस्त माह के तीसरे सप्ताह के अंत तक तेलंगाना में अरहर (तुवर) का उत्पादन क्षेत्र 4.57 लाख एकड़, मूंग का 52 हजार एकड़ तथा उड़द का 19 हजार एकड़ पर पहुंच सका जबकि जुलाई माह की अच्छी वर्षा के सहारे धान की रोपाई एवं मक्का तथा कपास की बिजाई की गति काफी तेज हो गई।
वारंगल के एक प्रगतिशील किसान का कहना है कि अक्सर दलहन फसलों की प्रगति के महत्वपूर्ण चरण में मौसम प्रतिकूल हो जाता है जिससे उपज दर एवं क्वालिटी प्रभावित होने की आशंका रहती है।
अक्टूबर के अंत एवं नवम्बर के आरंभ में होने वाली वर्षा दलहन फसलों के लिए नुकसान देह साबित होती है।
इसके अलावा कई बार किसानों को कमजोर बाजार भाव का सामना करना पड़ता है और सरकारी समर्थन मूल्य से काफी नीचे दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ता है। बिजाई क्षेत्र में कमी आने से चालू खरीफ सीजन के दौरान तेलंगाना में दलहनों का उत्पादन घटने की संभावना है।