iGrain India - नई दिल्ली । मानसूनी वर्षा की दृष्टि से अगस्त का महीना बेहद खराब और चिंताजनक रहा है। देश के अधिकांश भागों में समय औसत से कम और कई क्षेत्रों में बहुत कम बारिश होने से खरीफ फसलों की हालत कमजोर पड़ने लगी है।
मौसम विभाग ने अगस्त में जितनी कम बारिश होने का अनुमान लगाया था उससे बहुत ज्यादा गिरावट आ चुकी है। चालू माह के शुरूआती 28 दिनों के दौरान सामान्य औसत के मुकाबले राष्ट्रीय स्तर पर 68 प्रतिशत एवं दक्षिण भारत में महज 38 प्रतिशत वर्षा हुई।
यद्यपि पिछले सप्ताह के दौरान देश के कई भागों में जगह-जगह पर वर्षा हुई मगर फिर भी इसकी कुल कमी 32 प्रतिशत रह गई। इसके तहत खासकर देश के मध्यवर्ती राज्यों- मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में बारिश की कमी का दायरा बढ़ गया जहां सोयाबीन एवं तुवर आदि का भारी उत्पादन होता है।
इससे गैर सिंचित क्षेत्रों में फसल को काफी नुकसान होने की आशंका है। मौसम विभाग के मुताबिक मध्यवर्ती क्षेत्र में वर्षा की कमी बढ़कर 42 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि दूसरी ओर देश के पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भाग में 8 प्रतिशत अधिशेष बारिश दर्ज की गई जबकि वहां 21 अगस्त तक सामान्य औसत से 6 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी।
दक्षिण भारत के प्रायद्वीपीय भाग की हालत सबसे ज्यादा खराब रही जहां दीर्घकालीन औसत के मुकाबले केवल 38 प्रतिशत बारिश हो सकी। इसके तहत कर्नाटक में सबसे कम सिर्फ 25 प्रतिशत वर्षा हुई जबकि केरल में 31 प्रतिशत, तेलंगाना में 38 प्रतिशत एवं आंध्र प्रदेश में 53 प्रतिशत बारिश हुई।
हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारी खरीफ फसलों पर मानसून की कमजोर वर्षा के असर के बारे में कोई टिप्पणी करने से बच रहे हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं कर्नाटक सहित कुछ अन्य प्रांतों में स्थिति चिंताजनक है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की अवधि 16 अगस्त तक बढ़ा दी थी। जम्मू कश्मीर में तो अगस्त के अंत तक इसमें शामिल हुआ जा सकता है।