iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि पिछले साल के मुलाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन तथा अरंडी के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन मूंगफली, सूरजमुखी एवं तिल की बिजाई घटने से तिलहन फसलों के सम्पूर्ण क्षेत्रफल में करीब 1.80 लाख हेक्टेयर की गिरावट आ गई।
अन्य तिलहनों का रकबा भी कुछ पीछे रहा। खरीफ कालीन तिलहनों की बिजाई अंतिम चरण में पहुंच गई है। लेकिन प्रमुख उत्पादक राज्यों में वर्षा का अभाव होने से उत्पादन के प्रति चिंता बढ़ती जा रही है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 2022-23 सीजन के 190.40 लाख हेक्टेयर से घटकर 2023-24 के वर्तमान खरीफ सीजन में 188.60 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
इसके तहत समीक्षाधीन अवधि के दौरान मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र 44.75 लाख हेक्टेयर से घटकर 43.27 लाख हेक्टेयर सूरजमुखी का बिजाई क्षेत्र 1.89 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 67 हजार हेक्टेयर तथा तिल का क्षेत्रफल 12.73 लाख हेक्टेयर से गिरकर 11.80 लाख हेक्टेयर रह गया
जबकि दूसरी और अरंडी का बिजाई क्षेत्र 6.51 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 7.67 लाख हेक्टेयर तथा सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 123.60 लाख हेक्टेयर से उछलकर 127.70 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। अन्य तिलहनों का रकबा गत वर्ष के 14 हजार हेक्टेयर से फिसलकर इस बार 11 हजार हेक्टेयर रह गया।
खरीफ कालीन तिलहन फसलों के सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान एवं कर्नाटक आदि में अगस्त माह के दौरान मानसूनी वर्षा का घोर अभाव रहा जिससे किसानों एवं सरकार की चिंता काफी बढ़ गई है।
सोयाबीन की फसल के लिए तत्काल अच्छी बारिश की नितांत आवश्यकता है अन्यथा इसकी उपज दर एवं पैदावार में गिरावट आने की आशंका काफी बढ़ जाएगी। अन्य फसलों को भी बारिश की जरूरत है।