iGrain India - कोच्चि । मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों में यानी अप्रैल-मई 2023 के दौरान देश से लालमिर्च का निर्यात बढ़कर 1,03,124 टन पर पहुंच गया जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के निर्यात से 40 प्रतिशत अधिक था। इसके प्रमुख आयातक देशों में चीन, श्रीलंका, इंडोनेशिया एवं बांग्ला देश शामिल थे।
आमतौर पर लालमिर्च का भाव काफी मजबूत बना हुआ है क्योंकि एक तो इसका पिछला बकाया स्टॉक कम है और दूसरे, घरेलू तथा निर्यात मांग अच्छी है। इस वर्ष बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होने के संकेत मिल रहे हैं।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक आगामी समय में भी इसका दाम ऊंचा रहने की संभावना है लेकिन यदि फसल को प्रतिकूल मौसम एवं कीड़ों-रोगों के प्रकोप का सामना नहीं करना पड़ा तो उत्पादन बेहतर होगा और तब अगले साल इसके दाम में कुछ नरमी आ सकती है।
आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में बारिश का अभाव है लेकिन फिर भी लालमिर्च की अच्छी बिजाई हुई है। यदि सितम्बर में बारिश होती है तो फसल की हालत में काफी सुधार आ सकता है।
कुछ समीक्षकों का मानना है कि बेहतर उत्पादन की संभावना नजर आई तो फरवरी 2024 में लालमिर्च का भाव घटकर 17000/19000 रुपए प्रति क्विंटल पर आ सकता है। उस समय कटाई-तैयारी होगी और मंडियों में नए माल की आवक का प्रेशर बनने लगेगा। इस बीच फसल की प्रगति पर सबकी नजर केन्द्रित रहेगी।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष के मुकाबले इस बार अब तक लालमिर्च का उत्पादन क्षेत्र तेलंगाना में 67,970 एकड़ से 17 प्रतिशत बढ़कर 79,580 एकड़ पर पहुंच चुका है।
इस बार उत्पादकों को उम्मीद है कि कीड़ों-रोगों से फसल को ज्यादा नुकसान नहीं होगा क्योंकि इसे नियंत्रित करने के लिए कारगर कीट नाशक (रसायन) विकसित हो चुका है और अब यह बाजार में उपलब्ध भी है। तेलंगाना में बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है।
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश एवं कर्नाटक लालमिर्च के प्रमुख उत्पादक राज्य है। इसकी खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजन में होती है। खरीफ बिजाई मुख्यत: जून-जुलाई में की जाती है।