iGrain India - जमशेदपुर । चालू मानसून सीजन के दौरान झारखंड के किसानों को एक बार फिर भयंकर सूखे का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल भी वहां वर्षा की भारी कमी रही थी।
इस बार बारिश की हालत इतनी कमजोर है कि झारखंड में धान की खेती नियत लक्ष्य के आधे भाग तक भी नहीं पहुंच सकी। राजधानी रांची के आसपास के क्षेत्रों में वर्षा का अभाव होने से धान उत्पादकों की चिंता और परेशानी बहुत बढ़ गई है। कुछ किसान खेतों में सिंचाई करके धान रोपना चाहते हैं लेकिन यह जोखिमपूर्ण हो सकता है।
मौसम विभाग ने सितम्बर में सामान्य वर्षा होने की संभावना व्यक्त की है जिससे खरीफ फसलों को थोड़ी राहत मिल सकती है। लेकिन कई भागों में फसलों को पहले ही नुकसान हो चुका है जिसकी भरपाई मुश्किल है।
इस वर्ष झारखंड में सामान्य औसत के मुकाबले करीब 37 प्रतिशत कम बारिश हुई है। 20 अगस्त तक केवल 422.7 मि०मी० वर्षा हुई जबकि सामान्य औसत 689.8 मि०मी० का है।
झारखंड में धान का सामान्य औसत क्षेत्रफल 18 लाख हेक्टेयर आंका गया है जबकि दो सप्ताह पूर्व तक इसका रकबा 7.85 लाख हेक्टेयर या 43.66 प्रतिशत तक ही पहुंचा था। वहां धान की खेती देर से शुरू होती है और सितम्बर के प्रथम सप्ताह तक जारी रहती है।
लेकिन अगस्त के कमजोर मानसून ने इस बार समीकरण बिगाड़ दिया है। झारखंड में कुल 24 जिले हैं जिसमें से आठ जिलों में हालत बहुत खराब है। पलामू जिले में लक्ष्य के महज 3 प्रतिशत भाग में धान की रोपाई हो सकी।
इसी तरह जामताड़ा में 5.63 प्रतिशत, दुमका में 7.66 प्रतिशत, गढ़वा में 8.43 प्रतिशत, धनबाद में 10.26 प्रतिशत गिरीडीह में 11.4 प्रतिशत, कोडरमा में 12.61 प्रतिशत एवं चतरा में 16.35 क्षेत्र में धान की खेती है।
धान के अलावा वहां मक्का का क्षेत्रफल 3.12 लाख हेक्टेयर से गिरकर 2.21 लाख हेक्टेयर, दलहनों का 6.12 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 2.99 लाख हेक्टेयर, तिलहनों का 60 हजार हेक्टेयर से घटकर 27 हजार हेक्टेयर एवं मोटे अनाजों का रकबा सामान्य औसत क्षेत्रफल 42 हजार हेक्टेयर से फिसलकर इस बार 26 हजार हेक्टेयर रह गया।
सूखे का प्रभाव वहां दिखने लगा है और लोगों ने धान-चावल का स्टॉक जमा करना शुरू कर दिया है। तीन सप्ताह पूर्व जिस चावल का दाम 20 रुपए प्रति किलो चल रहा था वह अब दोगुना उछलकर 40 रुपए प्रति किलो पर पहुंचा गया है।