iGrain India - अकोला । पिछले कुछ सप्ताहों से चना के घरेलू बाजार मूल्य में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है और आगे भी इसका सिलसिला जारी रहने की संभावना है। महाराष्ट्र की एक प्रसिद्ध मंडी-अकोला में स्थित एक नामचीन प्रतिष्ठान-लक्ष्मी नारायण उद्योग का कहना है कि चना की बढ़ती कीमतों को देखते हुए नए-नए कारोबारी सामने आने लगे हैं।
छोटे-छोटे शहरों एवं कस्बों से ही नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों के व्यापारी भी चना की भारी खरीद कर रहे हैं। अधिकांश कारोबारियों को लगता है कि चना का भाव वर्तमान मूल्य स्तर से ऊपर चढ़ता रहेगा और यह 10,000 रुपए प्रति क्विंटल तक आसानी से पहुंच सकता है। इसी उम्मीद के सहारे वे भारी मात्रा में चना की खरीद करके इसका स्टॉक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
लक्ष्मी नारायण उद्योग के अनुसार चना का भविष्य अनिश्चित है इसलिए इसकी कीमतों का कोई भी ऊंचा लक्ष्य हासिल हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है।
लेकिन इसमें कुछ शंका-आशंका बरकरार है। सबसे पहली बात यह है कि चना की कीमतों को रोकने के लिए सरकार समुचित कदम उठाएगी। कमजोर मानसून का कुछ असर बाजार में मांग को आंशिक रूप से प्रभावित कर सकता है और सरकार ने कम दाम पर 'भारत दाल' ब्रांड से चना दाल को बाजार में उतार दिया है।
इन कारणों से चना के दाम पर कुछ दबाव पड़ सकता है। इसका कितना असर होगा, यह आने वाले समय में पता चलेगा। यदि सरकार तुवर और उड़द की भांति चना पर भी भंडारण सीमा आदेश लागू करती है तो बाजार प्रभावित हो सकता है।
दूसरी ओर चना बाजार में तेजी आने के कुछ ठोस कारक भी मौजूद है। पहली बात यह है कि केवल सरकारी एजेंसी- नैफेड की इसकी आपूर्ति करने में सक्षम है जबकि त्यौहारी सीजन की मांग मजबूत रहने वाली है।
मानसून के कमजोर पड़ने एवं खरीफ कालीन दलहनों का बिजाई क्षेत्र घटने का मनोवैज्ञानिक असर दलहन बाजार को ऊंचा रख सकता है। फंडामेंटली और तकनीकी रूप से दलहनों की कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रहने के आसार हैं।
लक्ष्मी नारायण उद्योग ने पूरी स्थिति का आंकलन करने के बाद कारोबारियों को सोच-समझकर चना में कारोबार करने का सुझाव दिया है। प्रतिष्ठान का कहना है कि कीमतों में प्रत्येक तेजी पर मुनाफा वसूली (बिक्री) की जानी चाहिए और दाम घटने पर चना की लिवाली करनी चाहिए। ऊंची कीमतों पर खरीदे गए चना का स्टॉक कम रखना चाहिए ताकि माहौल या बाजार का रूख बदलने पर सामंजस्य बना रहे।
बाजार में भारी अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है इसलिए आंख मूंदकर भेड़चाल में फसने के बजाए अपने विवेक से और संभलकर कारोबार करना बेहतर होगा। कारोबार से पूर्व जोखिम पर ध्यान रखना आवश्यक है।