iGrain India - इंदौर । सोयाबीन के तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान में पिछले महीने दखिन-पश्चिम मानसून के निष्क्रिय रहने से लगभग सुखे का मॉल बना रहा। सही स्थिति कर्नाटक और गुजरात में भी रही।
हालांकि कहीं-कहीं बीच-बीच में थोड़ी-बहुत बारिश हुई मगर यह फसल की हालत सुधारने के लिए अपर्याप्त रही। वर्षा पर आश्रित क्षेत्रों में सोयाबीन फसल की हालत तेजी से खराब होती जा रही है और यदि अगले कुछ दिनों तक बारिश का अभाव रहा तो समस्या बढ़ सकती है।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर पिछले साल के 123.90 लाख हेक्टेयर से 1.20 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस बार 125.10 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
यदि अगस्त में अच्छी बारिश हो जाती तो इसका शानदार उत्पादन हो सकता था। गत वर्ष की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र मध्य प्रदेश में 53.87 लाख हेक्टेयर से गिरकर 53.35 लाख हेक्टेयर,
राजस्थान में 11.51 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 11.44 लाख हेक्टेयर तथा कर्नाटक में 4.37 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.07 लाख हेक्टेयर पर अटक गया लेकिन महराष्ट्र में इसका बिजाई क्षेत्र 48.70 लाख हेक्टेयर से उछलकर 50.44 लाख हेक्टेयर,
तेलंगाना में 1.66 लाख हेक्टेयर से सधरकर 1.79 लाख हेक्टेयर देश के अन्य राज्यों में 3.62 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 3.88 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
बिजाई क्षेत्र के बजाए फसल की स्थिति के आधार पर उत्पादन का अनुमान लगाना व्यावहारिक होता है। अभी फसल की हालत उत्साहवर्धक नहीं है मगर सितम्बर की अच्छी वर्षा से संतोषजनक हो सकती है। सोयाबीन के पौधों में फूल और दाना लगने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है।