iGrain India - नई दिल्ली । खरीफ फसलों की बिजाई लगभग पूरी होने के बाद अब आगामी रबी सीजन की फसलों की खेती पर सबकी निगाहें टिक गई हैं। दरअसल अगस्त में मानसून के निष्क्रिय रहने से खरीफ फसलों के प्रति चिंता बढ़ गई है जबकि सितम्बर के बारिश के प्रति अनिश्चिता बरकरार है।
यदि चालू माह के दौरान उम्मीद के अनुरूप अच्छी वर्षा हुई तो ठीक, अन्यथा खरीफ फसलों के उत्पादन में गिरावट आ सकती है। रबी सीजन में इस संभावित उत्पादन में गिरावट की भरपाई होना आवश्यक है लेकिन जो हालात बन रहे हैं वे ज्यादा सुखद नहीं हैं।
ध्यान देने की बात है कि पिछले साल जुलाई में कमजोर रहने के बाद दक्षिण-पश्चिम मानसून अगस्त-सितम्बर में काफी मजबूत और सक्रिय हो गया था जिससे खरीफ फसलों को आमतौर पर फायदा और कहीं-कहीं अत्यन्त मूसलाधार वर्षा के कारण नुकसान हुआ था।
मानसून भारत से जाने का नाम ही नहीं ले रहा था और अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक डटा रहा था। इससे किसानों को रबी फसलों को अगैती बिजाई करने में सहायता मिली थी।
लेकिन इस बार परिदृश्य कुछ अलग नजर आ रहा है जो अब अल नीनो मौसम चक्र की वजह से हो सकता है।
अल नीनो ने मानसून पर असर डालना शुरू कर दिया है जिसका प्रमाण अगुसुत की कमजोर वर्षा के रूप में सामने आ चुका है। मौसम विभाग को उम्मीद है कि सितम्बर में अच्छी वर्षा होगी। यह आवश्यक भी है।
आमतौर पर सितम्बर के अंत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का समय समाप्त हो जाता है और अक्टूबर से उत्तर-पूर्व मानसून का सीजन आरंभ होता है जिसमें खासकर दक्षिण भारत में अच्छी बारिश होने की परिपाटी रही है।
रबी सीजन के दौरान देश में गेहूं, चना, सरसों एवं जौ सहित अन्य फसलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। गेहूं और चना के साथ सरसों का बाजार भाव भी तेज होने लगा है जिससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। परिणाम सामने नहीं आ रहा है। यदि वर्षा की कमी रही तो रबी फसलों की बिजाई प्रभावित हो सकती है।