iGrain India - नई दिल्ली । रोम (इटली) स्थित संस्था- कृषि बाजार सूचना तंत्र (सचिव) ने नई दिल्ली से जी-20 देशों की बैठक से पूर्व जारी अपने एक नोट में कहा है कि भारत द्वारा चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध एवं नियंत्रण तथा अल नीनो मौसम चक्र के प्रभाव से इस क्षेत्र में चावल का उत्पादन घटने की संभावना से वैश्विक बाजार का संतुलन बिगड़ गया है।
थाईलैंड में पिछले एक माह के दौरान चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में लगभग 20 प्रतिशत का भारी इजाफा हो चुका है। चूंकि भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है इसलिए यहां से सफेद गैर बासमती चावल का शिपमेंट बंद होने से वैश्विक बाजार पर गहरा असर पड़ना स्वाभाविक ही है।
एमिस के नोट में भारतीय चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने की जरूरत पर जोर दिया गया है। भारत से 100 प्रतिशत टूटे चावल का निर्यात पिछले साल से ही बंद है। अब सेला चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लागू है।
जी-20 सम्मेलन में आए नेतागण इस बात पर सहमत हुए कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टी ओ) के नियमों-प्रावधानों के तहत किसी जिंस के निर्यात पर प्रतिबंध अथवा नियंत्रण नहीं लगाया जाना चाहिए जो वैश्विक बाजार में बाधा उत्पन्न करता हो।
सम्मेलन के घोषणा पत्र में एमिस के सुझाव का समर्थन करने का निर्णय लिया गया और इसमें गेहूं, मक्का, चावल तथा सोयाबीन के साथ-साथ उर्वरक एवं वनस्पति तेलों को भी शामिल किया गया।
भारत से सफेद चावल का निर्यात बंद होते ही थाईलैंड वियतनाम एवं पाकिस्तान ने अपने उत्पाद का दाम बढ़ाना शुरू कर दिया। म्यांमार से भी चावल का निर्यात कुछ समय के लिए स्थगित हो गया है। वैसे भारत सरकार ने सिंगापुर, भूटान एवं मारीशस को 1.43 लाख टन चावल के निर्यात की स्वीकृति प्रदान कर दी है।