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सरकार द्वारा निकट भविष्य में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की नगण्य संभावना

प्रकाशित 14/09/2023, 03:44 pm
सरकार द्वारा निकट भविष्य में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की नगण्य संभावना
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iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि पिछले कुछ महीनों से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार भाव कमजोर होने के कारण देश में खाद्य तेलों का बेतहाशा आयात हो रहा है और घरेलू बाजार मूल्य पर दबाव बरकरार है जबकि अगले महीने से खरीफ कालीन दलहन फसलों की आवक जोर पकड़ने वाली है लेकिन इसके बावजूद केन्द्र सरकार घटा निकट भविष्य में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाए जाने की संभावना बहुत कम या नगण्य है।

स्वदेशी उद्योग खासकर आरबीडी पामोलिन के तेजी से बढ़ते आयात को नियंत्रित करने के लिए सरकार से उस पर भारी-भरकम सीमा शुल्क लगाने की जोरदार मांग कर रहा है मगर सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं।

पहली बात तो यह है कि बढ़ती खाद्य महंगाई के बीच केवल खाद्य तेल का दाम ही स्थिर या नरम बना हुआ है और सरकार सीमा शुल्क के जरिए इसे तेज नहीं करना चाहेगी।

दूसरी बात यह है कि त्यौहारी सीजन आरंभ हो चुका है और इसमें अक्सर खाद्य तेलों की मांग, खपत एवं कीमत बढ़ जाती है। सरकार त्यौहारी महीनों में आम उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर खाद्य तेलों की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहेगी। इसके अलावा चार-पांच राज्यों में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और सरकार इस समय कोई जोखिम नहीं उठाना चाहेगी। 

वैश्विक बाजार भाव नरम होने तथा भारत में सीमा शुल्क का स्तर काफी नीचे रहने से विदेशों से पाम तेल (क्रूड एवं रिफाइंड), सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल के आयात में जोरदार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।

इंडोनेशिया एवं मलेशिया के निर्यातक दाम घटाकर भारत को भारी मात्रा में आरबीडी पामोलीन का शिपमेंट कर रहे हैं जिससे स्वदेशी रिफाइनर्स को काफी कठिनाई हो रही है।

उद्योग बार-बार क्रूड एवं रिफाइंड खाद्य तेल के बीच शुल्कांतर को बढ़ाने का आग्रह कर रहा है। उसका कहना है कि वर्तमान समय में आरबीडी पामोलीन का मुम्बई पहुंच खर्च 850 डॉलर प्रति टन और क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का 860 डॉलर प्रति टन बैठ रहा है।

कई विश्लेषकों का मानना है कि 2022-23 के मौजूद मार्केटिंग सीजन में खाद्य तेलों का आयात उछलकर 170 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच सकता है जो 2021-22 सीजन के आयात लगभग 140 लाख टन से 30 लाख टन ज्यादा है।

वर्तमान समय में प्रभावी आयात शुल्क सीपीओ पर 5.5 प्रतिशत एवं रिफाइंड पामोलीन पर 13.75 प्रतिशत है।

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