iGrain India - इंदौर । चालू खरीफ सीजन के दौरान केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 125.40 लाख हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जो इंदौर स्थित संस्था-सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुमान 122.36 लाख हेक्टेयर से 3.05 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
इसके तहत सिर्फ महाराष्ट्र के बिजाई आंकड़ों में अंतर देखा जा रहा है जबकि बाकी सभी उत्पादक राज्यों के क्षेत्रफल का सहकारी और सोपा का अनुमान लगभग बराबर है। महाराष्ट्र के लिए सोपा ने 47.65 लाख हेक्टेयर के बिजाई क्षेत्र का आंकड़ा दिया है जबकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय का आंकड़ा 50.69 लाख हेक्टेयर का है।
मध्य प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 53.35 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 11.45 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 4.08 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 2.6 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 35 हजार हेक्टेयर, तेलंगाना में 1.80 लाख हेक्टेयर तथा देश के अन्य राज्यों में 1.02 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान सरकार और सोपा- दोनों ने लगाया है। सोयाबीन की बिजाई प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और शीघ्र ही इसकी अगैती बिजाई वाली फसल की कटाई शुरू होने वाली है।
सोपा की एक रिपोर्ट के अनुसार तीनों शीर्ष उत्पादक प्रांतों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक जिलों का व्यापक स्तर पर फील्ड सर्वेक्षण करने के बाद जो परिणाम सामने आया उससे पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर सरकार ने इस तिलहन का रकबा गत वर्ष के 120.83 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 125.40 लाख हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।
लेकिन महाराष्ट्र में करीब 6 प्रतिशत क्षेत्र में अन्य फसलों के साथ इसकी खेती हुई है इसलिए वास्तविक रूप से सोयाबीन का कुल क्षेत्रफल 122.36 लाख हेक्टेयर ही माना जाना चाहिए। सोपा की रिपोर्ट के मुताबिक कुल मिलाकर सोयाबीन फसल की हालत सामान्य है और खासकर हाल के दिनों में प्रमुख उत्पादक इलाकों में दूर-दूर तक हुई वर्षा से फसल को काफी राहत मिली है।
लगभग 15 प्रतिशत क्षेत्र में 15-20 दिनों तक बारिश का अभाव रहने से फसल की हालत कमजोर हुई थी और वहां इसे कुछ क्षति होने की आशंका है। वहां दाने छोटे हो सकते हैं और औसत उपज दर में गिरावट आ सकती है। मध्य प्रदेश के कुछ भागों में सोयाबीन की फसल पर कीड़ों-रोगों का प्रकोप भी देखा आज रहा है।