iGrain India - इंदौर । स्वदेशी वनस्पति तेल उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण संगठन- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक प्रांतों में हाल में किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि आमतौर पर सोयाबीन फसल की हालत सामान्य है लेकिन कुल मिलाकर लगभग 15 प्रतिशत क्षेत्र में अगस्त माह के दौरान 15-20 दिनों तक सूखे का माहौल रहने से हल्की एवं बलुआही मिटटी में नमी का आयात देखा गया जिससे वहां उपज दर प्रभावित होने की आशंका है।
मध्य प्रदेश के कुछ भागों में ऊंचे तापमान के कारण सोयाबीन की फसल पर कीड़ों-रोगों का प्रकोप भी देखा जा रहा हैजिससे उपज दर पर असर पड़ सकता है।
जिन प्रमुख उत्पादक जिलों में फसल को नुकसान होने के संकेत मिल रहे हैं उसमें मंदसौर, नीमच, रतलाम, खंडवा, देवास, खरगौन एवं बड़वानी शामिल हैं।
इसके अलावा राजस्थान के कोटा, प्रतापगढ़, बारां एवं झालावाड़ जिलों तथा महाराष्ट्र के उस्मानाबाद, बीड, परभणी, नांदेड, अकोला, अमरावती एवं यवतमाल जिलों में भी सोयाबीन की फसल को कुछ नुकसान होने की आशंका है।
सोपा के अनुसार जिन इलाकों में 20-25 जून के बीच जल्दी मैच्योर होने वाली किस्मों जैसे जे एस 9560, जे एस 20-34, जी एस 1569 आदि की अगैती खेती हुई थी वहां फसल परिपक्वता के चरण में पहुंच गई है लेकिन बारिश की कमी तथा ज्यादा गर्मी के कारण वहां दाने का ठीक से विकास नहीं हो पाया और उसका आकार छोटा रह गया।
इंदौर स्थित इस महत्वपूर्ण संगठन का कहना है कि अंतर फसलीय रकबे को एडजस्ट करने के बाद इस बार सोयाबीन का कुल उत्पादन क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर गत वर्ष से 6.85 प्रतिशत बढ़ गया है। कुल मिलाकर फसल की हालत भी सामान्य है और अभी तक किसी भी क्षेत्र में इसे जबरदस्त नुकसान नहीं हुआ है इसलिए इसके उत्पादन में विशेष गिरावट आने की संभावना नहीं दिखती है। लेकिन सोयाबीन के नए माल की आवक शुरू होने 10-15 दिनों की देर हो सकती है।