iGrain India - जीरा कीमतों में गिरावट
नई दिल्ली। चालू सप्ताह के दौरान जीरा की कीमतों में मिला जुला व्यापार हुआ। सप्ताह के शुरू में वायदा में भाव मंदे खुलने के कारण शुरूआती दौर में कीमतें मंदी रही लेकिन सप्ताह के मध्य में वायदा में भाव सुधरने के कारण कीमतों में सुधार दर्ज किया गया लेकिन अंतिम दिवस में फिर से वायदा में भाव मंदे के साथ बंद होने के कारण हाजिर बाजारों में जीरे के भाव पूर्व सप्ताह की तुलना में मंदे के साथ बोले गए।
वायदा बाजार
बिकवाली का दबाव बढ़ने के कारण वायदा बाजार में कुल मिलाकर भाव मंदे के साथ बंद हुए है। चालू सप्ताह के शुरू में वायदा में सितम्बर का जीरा 62400 रुपए खुला था जोकि सप्ताह के मध्य में ऊपर में 63115 रुपए बिकने के पश्चात सप्ताह के अंत में 61700 रुपए पर बंद हुआ।
हाजिर बाजार
निर्यातकों की लिवाली न होने एवं किसानों की बिकवाली बढ़ने के अलावा वायदा में भी भाव मंदे बोले जाने से उत्पादक केन्द्रों की मंडियों में भी जीरा के भाव मंदे के साथ बोले गए। प्रमुख मंडी ऊंझा में जीरे की दैनिक आवक बढ़कर 4000 बोरी की हो गई और भाव क्वालिटीनुसार 530/610 रुपए से मंदे के साथ सप्ताह के अंत में 510/600 रुपए पर बोला गया। उत्पादक केन्द्रों के मंदे समाचार मिलने एवं लोकल में उठाव कम रह जाने से दिल्ली बाजार में भी जीरा के भाव क्वालिटीनुसार 10/15 रुपए प्रति किलो मंदे रहे। राजस्थान की जोधपुर, मेड़ता, नागौर मंडी में हालांकि जीरे जीरे की आवक काफी कम रही लेकिन हाजिर में उठाव होने से भाव 10/20 रुपए प्रति किलो तक मंदे के साथ बोले गए।
खपत की तुलना में स्टॉक कम
जानकार सूत्रों का कहना है कि उत्पादक केन्द्रों पर जीरे का स्टॉक खपत की तुलना में कम है। जिस कारण से आगामी दिनों में जीरे की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। कारोबारियों का मानना है कि वर्तमान में प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात एवं राजस्थान के जीरे का स्टॉक 10/11 लाख बोरी के आसपास माना जा रहा है। जिसमें गुजरात में 6/7 लाख बोरी एवं राजस्थान 3/4 लाख बोरी माना जा रहा है।
आयात
विगत समय में जीरे की कीमतों में नरमी का दौर बना हुआ है। क्योंकि आयातकों में चीन में जीरे का आयात किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अगस्त अंत तक विदेशों से लगभग 6500 मीट्रिक टन जीरे का आयात किया जा चुका है।
भाव
जानकार सूत्रों का कहना है कि अभी हाल-फिलहाल बाजार में अधिक मंदा-तेजी की संभावना नहीं है लेकिन अक्टूबर माह में बाजार में तेजी बनने के आसार है। क्योंकि एक ओर जहां खपत की तुलना में उत्पादक केन्द्रों पर जीरे का स्टॉक कम है वही आयातकों को आयातित जीरे का रि-एक्सपोर्ट भी करण होगा। अतः शार्टेज की तेजी आगामी दिनों में अवश्य ही बनेगी। जबकि नई फसल की आवक जनवरी-फरवरी माह में गुजरात में शुरू होगी। राजस्थान में आवक अप्रैल माह में होगी।
निर्यात अधिक
चालू वित्त वर्ष के प्रथम तीन माह में जीरे के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है। मसाला बोर्ड के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून 2023 के दौरान जीरे का निर्यात 53399.64 टन का निर्यात किया गया। जबकि वर्ष 2022 के दौरान इसी समयवधि में निर्यात 47190.97 टन का किया गया था। वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में कुल निर्यात 186508 टन का हुआ था।
बढ़ेगी बिजाई
चालू सीजन के दौरान जीरे की कीमतें अधिक होने के कारण उत्पादक केन्द्रों पर इस वर्ष जीरे की बिजाई अवश्य ही बढ़ेगी। गुजरात के व्यापारियों का कहना है कि गुजरात में बिजाई अवश्य दो गुणा होगी जबकि राजस्थान में बिजाई डेढ़ गुणा होगी। उल्लेखनीय है वर्ष 2023 के लिए उत्पादक केन्द्रों पर जीरे की बिजाई 7.73 लाख हेक्टेयर पर की गई थी।