iGrain India - मास्को । हलांकि रूस में गेहूं का उत्पादन इस वर्ष पिछले साल के रिकॉर्ड स्तर से कम होने की संभावना है फिर भी यह विशाल एवं अब तक का दूसरा सबसे ऊंचा स्तर माना जा रहा है।
वहां नई फसल की कटाई-तैयारी जोरदार ढंग से हो रही है और मंडियों में इसकी भारी आवक होने लगी है। रूस में गेहूं का भारी-भरकम पिछला बकाया स्टॉक भी मौजूद है जिससे उत्पादन घटने के बावजूद इसकी कुल उपलब्धता में कमी नहीं आएगी और निर्यात के लिए इसका पर्याप्त स्टॉक उपलबध रहेगा।
मिस्र एवं तुर्की सहित कई अन्य देशों में रूसी गेहूं की भारी मांग बनी हुई है क्योंकि यह सबसे आकर्षक मूल्य पर उपलब्ध है। रूस के बंदरगाहों पर गेहूं से लदे या लोडिंग होने वाले जहाजों की कतार लगी हुई है जिसे आयातक देशों के लिए प्रस्थान करना है। रूस के कारण गेहूं के वैश्विक बाजार मूल्य में भारी गिरावट आ गई है।
शिकागो एक्सचेंज में गेहूं का वायदा भाव मार्च-अप्रैल 2022 की तुलना में घटकर लगभग आधा रह गया है। मालूम हो कि फरवरी 2022 के अंतिम सप्ताह में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद गेहूं का वैश्विक बाजार भाव उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था।
रूस से सस्ते दाम पर गेहूं का विशाल निर्यात होने से उन अफ्रीकी (गरीब) देशों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है जो चावल के अत्यन्त ऊंचे मूल्य स्तर से भारी संकट का सामना कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि रूस पिछले कई वर्षों से दुनिया में गेहूं का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है।
हकीकत तो यह कि वर्तमान समय में वैश्विक गेहूं निर्यात बाजार में रूस का सामना करने के लिए ज्यादा प्रतिद्वंदी ही नहीं है। इतने नीचे एवं आकर्षक मूल्य पर गेहूं का निर्यात करने की क्षमता अन्य किसी देश के पास नहीं है।
हालांकि रूस की सरकार गेहूं निर्यात के जरिए अपना राजस्व बढ़ाने और घरेलू बाजार भाव को स्थिर रखने का प्रयास कर रही है लेकिन इससे उसके निर्यात पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। रूस से 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में 460 से 485 लाख टन के बीच गेहूं का रिकॉर्ड निर्यात होने का अनुमान लगाया जा रहा है।