iGrain India - नई दिल्ली । अगस्त के सूखे ने खरीफ कालीन तिलहन फसलों की हालत खराब कर दी थी और भारी गर्मी तथा लम्बे समय तक बारिश की कमी के कारण तिलहन फसलों को काफी नुकसान हो गया था। हालांकि चालू माह के बारिश से फसलों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है मगर अगस्त में हुए नुकसान की भरपाई होना मुश्किल है।
मध्य प्रदेश सोयाबीन का तथा गुजरात मूंगफली एवं अरंडी का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है। हाल के दिनों में इन दोनों राज्यों के कई इलाकों में मूसलाधार वर्षा हुई है जिससे कहीं-कहीं बाढ़ का नजारा दिखने लगा है।
सामान्य बारिश वाले क्षेत्रों में फसल को फायदा हो सकता है लेकिन अगैती बिजाई वाली जो फसलें परिपक्व होकर कटाई के चरण में पहुंच रही है उन खेतों में लम्बे समय तक पानी का जमाव होना हानिकारक साबित हो सकता है।
तिल तथा सूरजमुखी की फसल को कई क्षेत्रों में अच्छी वर्षा की आवश्यकता बनी हुई है। हाल की वर्षा से पिछैती बिजाई वाली तिलहन फसलों को जरूर कुछ लाभ हुआ है। यदि 15-20 दिन पहले अच्छी बारिश हो जाती तो अगैती फसल को भी फायदा हो सकता था।
एक महत्वपूर्ण संगठन-सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक का कहना है कि अगस्त में वर्षा का भारी अभाव होने से फसल को जितना नुकसान होना था वह हो चुका है लेकिन हाल की वर्षा से इतना निश्चित हो गया है कि आगे इसे ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
लगभग 15 प्रतिशत क्षेत्रफल में नमी का भारी अभाव उत्पन्न हो गया था। इससे दाने का आकार छोटा पड़ने तथा उसकी संख्या कम होने की आशंका है जिससे औसत उपज दर में गिरावट आएगी।
ऊंचे तापमान एवं रोगों-कीड़ों के प्रकोप से भी फसल को कुछ क्षति हुई है। आमतौर पर फसल की हालत सामान्य है और नई फसल की आवक में 10-15 दिनों की देर हो सकती है।
सूखे के प्रकोप से मूंगफली की फसल को ज्यादा नुकसान होने की आशंका है। राष्ट्रीय स्तर पर इसका क्षेत्रफल गत वर्ष से 3.4 प्रतिशत घटकर इस बार 43.81 लाख हेक्टेयर रह गया। सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त गुजरात में इसका बिजाई क्षेत्र 16.35 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो पिछले साल से करीब 4 प्रतिशत कम है। वहां वर्षा की कमी है।