वाशिंगटन, 22 जुलाई (आईएएनएस)। भारत में नियुक्त अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी शुरू से ही अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है कि वह मानवाधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए आगे आने में संकोच नहीं करेंगे।
हाल ही में जब उनसे मणिपुर की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने यही मंशा जताई, हालांकि अंत में उन्होंने कहा कि भारत की समस्याओं का समाधान भारतीयों को करना है।
दिसंबर 2021 में अपनी नियुक्ति की पुष्टिकरण की प्रक्रिया में उन्होंने कहा था, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका-भारत संबंध लोकतंत्र, मानव अधिकारों और नागरिक समाज के प्रति हमारी आम प्रतिबद्धता पर आधारित होना चाहिए। यह हमारे संविधानों में निहित है, जो दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। मानवाधिकार, लोकतंत्र की रक्षा हमारी विदेश नीति का स्तंभ है, मैं सक्रिय रूप से इन मुद्दों को उठाऊंगा।"
मणिपुर की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर गार्सेटी ने बिल्कुल यही किया। उन्होंने कहा: "मुझे नहीं लगता कि यह रणनीतिक चिंताओं के बारे में है। मुझे लगता है कि यह मानवीय चिंता का विषय है। ऐसी हिंसा की चिंता करने के लिए भारतीय होने की ज़रूरत नहीं है।"
लेकिन उन्होंने आगे कहा, "हम जानते हैं कि यह एक भारतीय मामला है, भारत को अपना रास्ता तय करना है।"
गौरतलब है कि गार्सेटी आसानी से हार नहीं मानते। जुलाई 2021 में राष्ट्रपति जो बाडेन द्वारा अमेरिकी राजदूत के रूप में नामित और उसकी पुष्टिकरण के लिए लंबा समय लगने के बावजूद उन्होंनेअपना नामांकन वापस नहीं लिया।
उनके नामांकन के लगभग दो साल बाद इस साल मार्च में आख़िरकार उनके नाम की पुष्टि की गई।
जो लोग उस दौरान उनके संपर्क में थे, उनका कहना है कि उन्होंने कभी हार नहीं मानी और असाइनमेंट को लेकर पहले दिन की तरह ही उत्साहित रहे।
इंडियास्पोरा के संस्थापक एम.आर. रंगास्वामी, जो कई बार राजदूत से मिल चुके हैं और उन्हें जानते हैं, ने कहा, "वह कार्यभार को लेकर बहुत उत्साहित थे और पुष्टिकरण की लंबी प्रक्रिया से बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए थे।"
उन्होंने कहा, "एक राजनेता और अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े शहर लॉस एंजेल्स के पूर्व मेयर के रूप में, वह जानते हैं कि क्या करना है और कब करना है।"
--आईएएनएस
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