नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। हमास में चल रहे संघर्ष के बीच इजरायल से शुक्रवार को घर लौटे फंसे हुए भारतीयों का पहला जत्था अपनी आपबीती बताने के लिए उत्सुक है।उत्तरी इजरायल में टेक्नियन से केमिकल इंजीनियरिंग में पोस्ट-डॉक्टरल कर रहे भारतीय छात्र सौरव (30) ने 7 अक्टूबर को हमास के हमले शुरू होने पर खुद को मध्य इजरायल में फंसा हुआ पाया।
उन्होंने आईएएनएस को बताया, "मुख्य प्रभावित क्षेत्र दक्षिणी और मध्य इजरायल थे। दुर्भाग्य से मैं मध्य इजरायल में मौजूद था।"
उन्होंने कहा, "जब सायरन बजने लगा तो मैंने एक आश्रय कक्ष में शरण ली। इजरायल की हर इमारत में पहले से ही आश्रय कक्ष हैं और उन तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। कोई भी एक मिनट के भीतर इन तक पहुंच सकता है।"
उन्होंने कहा, "बाद में इजरायल की जवाबी कार्रवाई के बाद मैं उत्तरी इजरायल लौट आया।"
सौरव को कई अन्य भारतीयों के साथ 'ऑपरेशन अजय' के तहत निकाला गया था, उन्हाेंने आईएएनएस को बताया कि इजरायली सरकार हमास के हमले के बाद छात्रों को निकालने और आश्रय प्रदान करने में तेजी से काम कर रही थी।
भारतीयों को लाने के लिए गुरुवार रात तेल अवीव के बाहरी इलाके में बेन गुरियन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से पहली उड़ान भरी।
आगे कहा, "हम सभी बहुत डरे हुए थे। लेकिन हमें भारतीय दूतावास से विशेष निर्देश मिले। हमें भारतीय दूतावास से मेल के माध्यम से गूगल फॉर्म प्राप्त हुए और हमें सूचित किया गया कि विदेश मंत्रालय तेल अवीव से दिल्ली के लिए एक चार्टर्ड उड़ान चलाएगा।''
केंद्र की प्रशंसा करते हुए सौरव ने आईएएनएस से कहा कि उन्हें पता था कि भारत सरकार निकासी के प्रयास करेगी, लेकिन इतनी तेज कार्रवाई की उम्मीद नहीं थी।
जैसे ही इजरायल-हमास युद्ध तेज हुआ और मरने वालों की संख्या 3,000 के करीब पहुंची। भारत सरकार ने 'ऑपरेशन अजय' के तहत निकासी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
गुरुवार को एक्स पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "इजरायल से लौटने के इच्छुक हमारे नागरिकों की वापसी की सुविधा के लिए ऑपरेशन अजय लॉन्च किया जा रहा है। विशेष चार्टर उड़ानें और अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं। विदेश में हमारे नागरिकों की सुरक्षा और भलाई के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
--आईएएनएस
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