श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 2 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी में महिला शक्ति धीरे-धीरे सामने आ रही है। अंतर-ग्रहीय मिशनों का मातृ शक्ति ना सिर्फ नेतृत्व कर रही हैं, बल्कि, महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रही हैं।मौजूदा समय में निगार शाजी की देश-विदेश में चर्चा हो रही है। निगार शाजी भारत के सूर्य मिशन आदित्य-एल1 की परियोजना निदेशक हैं।
तमिलनाडु के शेंगोट्टई की मूल निवासी 59 वर्षीय निगार शाजी ने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं के सरकारी स्कूल में की। एक प्रतिभाशाली छात्रा रही निगार शाजी ने 10वीं और 12वीं कक्षा में स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
तिरुनेलवेली के एक कॉलेज से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद निगार शाजी ने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (रांची) से एमटेक. पूरा किया और फिर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में शामिल हो गईं।
इन वर्षों में वह विभिन्न परियोजनाओं में शामिल रहीं। उन्हें लगभग आठ साल पहले आदित्य-एल1 के प्रमुख की जिम्मेदारी मिली।
निगार शाजी ने आईएएनएस को बताया कि मैं आठ वर्षों से इस जटिल परियोजना का नेतृत्व कर रही हूं। यह एक चुनौतीपूर्ण परियोजना थी। अंतरिक्ष यान को कक्षा में स्थापित करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा पेलोड भी अपनी तरह का पहला था।
उन्होंने बताया कि उनके पति एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और दुबई में काम कर रहे हैं। बेटा पीएचडी करने के बाद नीदरलैंड में जॉब कर रहा है। बेटी एक डॉक्टर है और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है।
खास बात यह है कि इसरो के चंद्रयान-2 मिशन में दो महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, परियोजना निदेशक एम वनिता और मिशन निदेशक रितु करिधल श्रीवास्तव। इसी तरह चंद्रयान-3 मिशन में भी डिप्टी डायरेक्टर कल्पना ने अहम भूमिका निभाई।
--आईएएनएस
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