मुंबई, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता राहुल कनाल ने गुरुवार को एक पत्र के माध्यम से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से आग्रह किया है कि वह भारत सरकार को टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के नाम को सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' के लिए प्रस्तावित करें। यह कदम रतन टाटा के अपार योगदान और उनके द्वारा मानवता के प्रति किए गए कार्यों की सराहना के लिए उठाया गया है।राहुल कनाल ने पत्र में स्पष्ट किया कि रतन टाटा का जीवन दयालु भाव, ईमानदारी और निस्वार्थ सेवा के मूल्यों से भरा हुआ है, जो उन्हें न केवल एक सफल उद्योगपति बनाते हैं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में भी प्रस्तुत करते हैं जो समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए सदैव तत्पर रहे हैं। उनका योगदान न केवल भारतीय उद्योग को आगे बढ़ाने में रहा है, बल्कि उन्होंने सामाजिक कल्याण और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
अपने पत्र में राहुल कनाल ने लिखा, "मुझे उम्मीद है कि यह पत्र आपको अच्छे स्वास्थ्य और उत्साह से भरा हुआ मिलेगा। मैं श्री रतन टाटा जी के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करने के लिए लिख रहा हूं, वो भारतीय उद्योग जगत के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, जिनका योगदान कॉर्पोरेट क्षेत्र से आगे बढ़कर हमारे समाज के ताने-बाने में समा गया है।"
"वह न केवल एक दूरदर्शी नेता थे, बल्कि एक दयालु मानवतावादी भी थे। आवारा पशुओं के कल्याण के लिए उनके परोपकारी प्रयास, भारत भर में अपने पांच सितारा होटलों के माध्यम से आश्रय प्रदान करना, हमारे समाज के शोषित समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अलावा, वंचितों के लिए कैंसर अस्पताल स्थापित करने के प्रति उनके समर्पण ने सभी व्यक्तियों के स्वास्थ्य और सम्मान के अधिकार में उनके अटूट विश्वास को प्रदर्शित किया, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।"
कनाल ने अपने पत्र में लिखा, "इन उल्लेखनीय योगदानों के मद्देनजर, मैं आपके सम्मानित कार्यालय से श्री रतन टाटा जी के नाम को भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार के लिए प्रस्तावित करने का अनुरोध करता हूं। यह सम्मान उस व्यक्ति के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिसने मानवता के प्रति दयालुता, ईमानदारी और निस्वार्थ सेवा के मूल्यों को अपनाया।"
उन्होंने आगे लिखा कि टाटा को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित करना न केवल उनकी विरासत का सम्मान करेगा, बल्कि अनगिनत अन्य लोगों को उनके पदचिन्हों पर चलने और हमारे देश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा। इस अनुरोध पर विचार करने के लिए धन्यवाद। मेरा मानना है कि ऐसे असाधारण व्यक्तियों की पहचान हमारे समाज में परोपकार और करुणा की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।"
--आईएएनएस
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