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मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल ने फिर शुरू की भूख हड़ताल

प्रकाशित 08/06/2024, 06:02 pm
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल ने फिर शुरू की भूख हड़ताल

जालना (महाराष्ट्र), 8 जून (आईएएनएस)। मराठा आरक्षण की मांग कर रहे शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने शनिवार को फिर से भूख हड़ताल शुरू कर दी। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से इस संबंध में जनवरी में किए गए वादों को लागू करने की मांग की है।कार्यक्रम स्थल से एक सहयोगी ने आईएएनएस को जानकारी देते हुए कहा, ''स्थानीय अधिकारियों ने आखिरी समय में अनशन की अनुमति दी, जिसके बाद बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ जरांगे पाटिल ने अपने गांव अंतरावली-सरती में भूख हड़ताल शुरू की।''

बता दें कि जनवरी में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात कर मराठा आंदोलन से जुड़े ड्राफ्ट की कॉपी दी थी।

मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल ने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। इसकी शुरुआत अगस्त 2023 में भूख हड़ताल से हुई। और उसके बाद मराठा आरक्षण के लिए दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन, रैलियां, नवी मुंबई तक लंबी पैदल यात्रा समेत कई तरह के हथकंडे अपनाए।

दबाव पड़ने पर राज्य सरकार ने विधानमंडल का स्पेशल सेशन बुलाया और उनकी कई मांगों को स्वीकार कर लिया। साथ ही समझौते के अनुसार कुछ अन्य मांगों को अभी भी लागू किया जाना बाकी है।

महाराष्ट्र में मराठा की आबादी लगभग 33 प्रतिशत है। वे पिछले चार दशकों से नौकरियों और शिक्षा के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं।

मनोज जरांगे ने मांग की कि मराठा समुदाय के लोगों को ओबीसी के तहत सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए। इसके अलावा, मराठों को कुनबी जाति प्रमाण-पत्र देने वाला एक सरकारी आदेश पारित किया जाए। साथ ही सरकार मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के सर्वे के लिए राशि दे और कई टीमें बनाए।

पाटिल महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले हैं। 12वीं क्लास तक पढ़ाई पूरी करने के बाद वह बेहतर अवसरों की तलाश में पड़ोसी जिले जालना में रहने लगे। इस दौरान आजीविका के लिए उन्होंने होटल में काम किया। वह कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए। उनके काम को देखते हुए पार्टी के सदस्यों ने उन्हें कांग्रेस के जालना जिला प्रमुख के रूप में नियुक्त किया, लेकिन थोड़े समय बाद ही उन्होंने पार्टी का दामन छोड़ दिया।

उन्होंने मराठा समुदाय के लोगों के लिए 'शिवबा संगठन' नामक संस्था बनायी और आरक्षण की मांग के लिए राज्य के कई नेताओं से मुलाकात की। अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। बता दें कि पिछले साल सितंबर में जरांगे ने मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन किया था, जिसमें हिंसा भड़क उठी थी।

--आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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