iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध या मात्रात्मक नियंत्रण लगाने का कोई संकेत नहीं दिया है लेकिन बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ-साथ व्यापारियों एवं निर्यातकों ने आगामी शिपमेंट के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (एल सी) सुरक्षित करने का प्रयास तेज कर दिया है।
इन्हें आशंका है कि बढ़ते बाजार भाव के कारण सरकार गैर बासमती चावल के निर्यात को नियंत्रित कर सकती है। यदि वैध एल सी प्राप्त हो गया तो प्रतिबंध के बावजूद उसे चावल का निर्यात करने की अनुमति मिल सकती है।
पिछले साल मई में जब सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था तब इसी तरह की नीति अपनाई गई थी कि जिन निर्यातकों के पास वैध एल सी या उसे शिपमेंट की स्वीकृति दी गई थी। चावल निर्यातकों को सही नीति चावल निर्यात पर भी लागू होने की उम्मीद है।
आई ग्रेन इंडिया इस सम्बन्ध में पहले ही विस्तृत जानकारी दे चुका है कि सरकार चावल के निर्यात पर रोक लगाने पर विचार नहीं कर रही है। एक उच्च स्तरीय मीटिंग में सिर्फ एक अधिकारी ने इस आशय की बात कही थी कि विशेष परिस्थिति में चावल का निर्यात रोकने पर विचार किया जाना चाहिए लेकिन इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दिया गया।
इधर कुछ लोगों ने इसे काफी तूल देकर अफवाह फैला दी कि सरकार चावल का निर्यात रोक सकती है। फिलहाल इसे अफवाह मानना ही ठीक होगा।
लेकिन यह भी सही है कि केन्द्र सरकार कोई पूर्व सूचना दिए बगैर आकस्मिक निर्णय लेती रहती है जिससे निर्यातक भली भांति अवगत हैं। पिछले साल सितम्बर में जब 100 प्रतिशत टूटे चावल के निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने तथा गैर बासमती श्रेणी के कच्चे (सफेद) एवं स्टीम चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू करने का निर्णय लिया गया था तब भी ऐसा ही हुआ था।
यद्यपि खुले बाजार में चावल के दाम में अभी कोई अप्रत्याशित तेजी नहीं आई है लेकिन निर्यातक अपनी स्थिति को सुरक्षित रखने का जोरदार प्रयास अवश्य कर रहे हैं।