कोच्चि, 25 जनवरी (आईएएनएस)। केरल उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि जांच एजेंसियां आरोपी व्यक्तियों के पासपोर्ट तब तक जब्त नहीं कर सकती हैं या अपने पास नहीं रख सकती हैं जब तक कि पासपोर्ट का इस्तेमाल अपराध करने के लिए नहीं किया गया हो या इसका इस्तेमाल किए जाने का संदेह न हो।
अदालत ने कहा,"किसी व्यक्ति का पासपोर्ट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के तहत जारी किया जाता है। उक्त दस्तावेज़ के साथ किए गए या किए जाने वाले किसी भी अपराध की अनुपस्थिति में, पासपोर्ट को जब्त या बनाए नहीं रखा जा सकता है। जांच एजेंसियां, जमानत आदेश में किसी शर्त के बिना भी पासपोर्ट को लंबे समय तक अपने पास रखना जब्त करने जैसा होगा, जो कानून के विपरीत है।''
अदालत ने शीर्ष अदालत के पहले के फैसले पर गौर किया, इसमें फैसला सुनाया गया था कि हालांकि पुलिस के पास आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 102 (1) के तहत पासपोर्ट जब्त करने की शक्ति हो सकती है, लेकिन उसके पास पासपोर्ट जब्त करने की शक्ति नहीं है, जो पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 10(3) के तहत केवल पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा ही किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने कहा,“किसी दस्तावेज़ को जब्त करने के बाद, यदि संपत्ति को कुछ समय के लिए बरकरार रखा जाता है, तो उक्त प्रतिधारण संपत्ति या दस्तावेज़ को जब्त करने के समान है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सीआरपीसी की धारा 104 के बावजूद अदालत भी पासपोर्ट जब्त नहीं कर सकती। क्योंकि उक्त प्रावधान अदालत को पासपोर्ट के अलावा किसी भी दस्तावेज़ या चीज़ को जब्त करने में सक्षम बनाएगा।''
उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर नया आदेश पारित किया, जिसे अप्रैल 2022 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत कथित तौर पर 3.5 किलोग्राम हशीश वाला पार्सल प्राप्त करने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
अपनी गिरफ्तारी के बाद, उन्होंने जमानत हासिल कर ली और फिर अपने पासपोर्ट, आईडी कार्ड और मोबाइल फोन की रिहाई के लिए यहां एक स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया, जो उनकी गिरफ्तारी के समय पुलिस ने जब्त कर लिया था, लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
इस अस्वीकृति के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और मामले की जांच कर रहे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने इसका विरोध किया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को जमानत देने के आदेश में ऐसी कोई शर्त नहीं थी कि उसे अपना पासपोर्ट अदालत या जांच अधिकारी के पास जमा कराना पड़े।
अदालत ने कहा, "यह प्रतिबंध कि याचिकाकर्ता अदालत की अनुमति के बिना केरल के बाहर यात्रा नहीं करेगा, उसका पासपोर्ट बरकरार रखने का कारण नहीं हो सकता।"
मोबाइल फोन के संबंध में, अदालत ने कहा कि फोरेंसिक विश्लेषण अब तक हो जाना चाहिए था, क्योंकि इसे अप्रैल 2022 में जब्त कर लिया गया था, इसके अलावा याचिकाकर्ता का पहचान पत्र जांच में किसी काम का नहीं होगा।
इसके बाद हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी को याचिकाकर्ता का पासपोर्ट, मोबाइल फोन और पहचान पत्र लौटाने का निर्देश दिया।
--आईएएनएस
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