iGrain India - नई दिल्ली । आगामी आम चुनाव को ध्यान में रखकर खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के नाम पर केन्द्र सरकार लगातार अपनी नीतियों में भारी बदलाव कर रही है और नए-नए नियमों तथा शर्तों को थोप रही है जिससे केवल खाद्यान्न बाजार में हमेशा अनिश्चितता का माहौल बना रहता है बल्कि व्यापारियों की जान भी सांसत में फंसी रहती है।
सरकार इतनी जल्दबाजी में निर्णय लेती है कि अधिकांश कारोबारियों को संभलने का मौका भी नहीं मिलता है। गेहूं बाजार की हालत लगातार अनिश्चित होती जा रही है। पिछले साल से ही गेहूं तथा इसके उत्पादों के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि चालू वर्ष के दौरान पहले इस पर भंडारण सीमा आदेश लागू किया गया और अब इस सीमा में भी भारी कटौती कर दी गई।
जिन व्यापारियों ने किसानों से ऊंचे दाम पर गेहूं खरीदा उसे अब काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैसे भी खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत सरकार ने अपने गेहूं के स्टॉक का दरवाजा पूरी तरह खोल दिया है।
विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में किसानों से 2,700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदने का वादा किया गया था। इससे मिलर्स एवं व्यापारी वर्ग काफी आशंकित है।
यदि सरकार 2,700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदेगी तो किसान व्यापारियों को अपना माल तभी बेचेगा जब वह इसका ऊंचा दाम देने के लिए तैयार हो। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य केन्द्र सरकार ने 2023-24 सीजन के लिए 2,275 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है मगर मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के व्यापारियों को 2,750-2,800 रुपए प्रति क्विंटल पर इसे खरीदना होगा तथा अन्य व्यय को मिलाकर इसका पूरा खर्च 2,900-2,950 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच जाएगा।
ऐसी हालत में वहां व्यापारियों द्वारा 2,300-2,400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचने की कल्पना नहीं की जा सकती है। सरकार राशन में मुफ्त अनाज बांट रही हैं और ओएमएसएस में मिलर्स- प्रोसेसर्स को समूचे देश में सस्ते दाम पर गेहूं मुहैया करवा रही है।
केवल व्यापारियों पर वह शिकंजा कसती जा रही है जिससे कारोबार करना घाटे का सौदा साबित हो रहा है। सरकार को व्यापारियों के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए।
गेहूं के साथ-साथ चावल, चीनी एवं दाल-दलहन तथा तेल-तिलहन के उद्योग-व्यापार को भी सरकार की नीति से भारी परेशानी हो रही है। समीक्षकों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव तक सरकार का डंडा खाद्यान एवं खाद्य बाजार पर चलता रहेगा।