कोच्चि, 7 नवंबर (आईएएनएस)। केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को इसी अदालत के एकल-न्यायाधीश के हालिया आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील में आंशिक राहत दी, जिसमें सरकार को सभी धार्मिक स्थानों पर छापेमारी कर अवैध पटाखों को जब्त करने का निर्देश दिया गया था।मंगलवार को एक डिवीजन बेंच ने इस टिप्पणी को छोड़कर आदेश को रद्द कर दिया कि "धार्मिक स्थानों पर असंगत समय में कोई पटाखे नहीं फोड़े जाएंगे।"
पीठ ने कहा, “हम एकल-न्यायाधीश द्वारा जारी किए गए इस निर्देश को छोड़कर कि कि असंगत समय में धार्मिक स्थानों पर कोई पटाखे नहीं फोड़े जाएंगे, दिए गए आदेश को रद्द करते हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच आतिशबाजी के उपयोग पर रोक होनी चाहिए, उन मामलों को छोड़कर जिनमें धार्मिक स्थल का मामला सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के अंतर्गत आता है और राज्य के अधिकारी प्रत्येक धार्मिक स्थल के लिए विशिष्ट आदेश पारित करते हैं।”
इसने आगे बताया कि राज्य के अधिकारी "कानून के अनुसार विभिन्न स्थानों पर पटाखों के अवैध कब्जे के संबंध में कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं।"
संयोग से, पिछले सप्ताह न्यायमूर्ति अमित रावल ने डिप्टी कलेक्टर को निर्देश दिया था कि वे कोचीन और अन्य जिलों के पुलिस आयुक्त की सहायता से सभी धार्मिक स्थानों पर छापेमारी करें और वहां अवैध रूप से रखे गए पटाखों को अपने कब्जे में लें और निर्देश जारी करें कि अब से धार्मिक स्थानों पर असंगत समय में पटाखे नहीं फोड़े जाएंगे क्योंकि प्रथम दृष्टया भगवान को प्रसन्न करने के लिए किसी भी ग्रंथ में पटाखे फोड़ने का कोई निर्देश नहीं है।
मंगलवार को राज्य के महाधिवक्ता के गोपालकृष्ण कुरुप ने कहा कि यह आदेश एक ऐसी याचिका पर पारित किया गया था, जिसमें अदालत से इस तरह के निर्देश की मांग भी नहीं की गई थी।
उन्होंने बताया कि याचिका 2015 में दायर की गई थी और इसका विषय केवल एक विशिष्ट मंदिर में पटाखे फोड़ने तक ही सीमित था।
उन्होंने कहा कि एकल-न्यायाधीश का निर्देश सर्वव्यापी था और किसी भी तथ्यात्मक या कानूनी परिस्थितियों से इसकी पुष्टि नहीं हुई थी और वह चाहते थे कि एकल-न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया जाए, लेकिन डिवीजन बेंच ने आंशिक राहत दी।
--आईएएनएस
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