लखनऊ, 8 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में 'वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024' पेश किया। इस विधेयक को योगी सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने सराहा है। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस बिल के संशोधन से वक्फ की संपत्ति को नुकसान होगा। मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि वक्फ की संपत्ति आम मुस्लिम के विकास के लिए होनी चाहिए। इस पर लगातार शिकायतें आ रही हैं। इनकी संपत्ति पर गैरकानूनी कब्जे की बातें सामने आ रही हैं। हमारी सरकार मुस्लिमों के हित के लिए संजीदा है। यह बिल आम मुस्लिमों के लिए 'मील का पत्थर' साबित होगा। वक्फ की संपत्ति पर विद्यालय, अस्पताल और जनहित की चीजें खुले। निश्चित तौर पर यह बिल आम मुस्लिमों की भावनाओं के अनरूप है। इसका स्वागत होना चाहिए।
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि कानूनी जानकारों की मानें तो बिल में जो भी संशोधन लाए जा रहे हैं, उससे वक्फ की संपत्ति को फायदे के बजाय नुकसान होगा। अपने मजहबी चीजों को उसी मजहब के जानकार ही मैनेज कर सकते हैं। उसमें नॉन मुस्लिम को रखने की बात सामने आ रही है। ओवर राइटिंग पावर जिला अधिकारी को दे रहे हैं, जो डेमोक्रेसी के लिए मुनासिब नहीं है।
उन्होंने कहा कि इधर कुछ सालों में वक्फ को लेकर एक गलत दृष्टिकोण बनाया गया है। यह आरोप एकदम गलत है कि अगर वक्फ ने किसी संपत्ति को अपना बता दिया, तो वो उसकी हो जाएगी। मौजूदा वक्फ अधिनियम में पर्याप्त से अधिक कानून हैं, इसमें अगर आपको कोई भी संपत्ति वक्फ करनी है, तो उसकी एक प्रक्रिया है। उसके बाद ही वो वक्फ की संपत्ति बनती है। इन संपत्तियों को खरीदा और बेचा भी नहीं जा सकता है, न उनसे कोई एक रुपए की आमदनी होती है। मौजूदा वक्फ बोर्ड में सरकार के नामित सदस्य होते हैं। इसमें दो महिला सदस्य होती हैं। सीईओ गवर्नमेंट ही रखती है। वक्फ ट्रिब्यूनल भी सरकार नियुक्त करती है। इसमें लीगल फ्रेम वर्क पहले से बना हुआ है।
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