iGrain India - भुवनेश्वर । केन्द्रीय एजेंसी- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने पश्चिमी उड़ीसा के जिलों में प्रमुख चावल मिलों में प्रांतीय सरकार की एजेंसियों के सहयोग से धान की एक संयुक्त भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। वहां से ऐसी शिकायतें मिली थी कि कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) की बड़े पैमाने पर रिसाइक्लिंग की जा रही है।
केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का दिशा निर्देश प्राप्त होने के बाद इस संयुक्त भौतिक सत्यापन का आदेश दिया गया।
मंत्रालय को शिकायत मिली थी कि धान के भौतिक सत्यापन (फिजिकल वेरिफिकेशन) में भारी घोटाला हो रहा है और चावल मिलर्स इसमें शामिल हैं।
कस्टम मिलिंग धान के स्टॉक का कोई फोटोग्राफिक लिए बगैर मिलर्स को धान का कोटा आवंटित करके उससे चावल लिया जा रहा है।
समझा जाता है कि राइस मिलर्स पिछले साल खरीदे गए सस्ते धान की मिलिंग करके खाद्य निगम को चावल की आपूर्ति करते रहे हैं।
यह दावा भी किया गया है कि इस रिसाइक्लिंग करार के तहत करीब 15 करोड़ रुपए का हेर फेर हुआ है और हजारों टन चावल की हेराफेरी की गई है।
इस घोटाले में अनेक चावल मिलों के शामिल होने की संभावना है। आरोप है कि धान की नकली या काल्पनिक खरीद दिखाई गई है और पीडीएस सिस्टम में रिसाइक्लिंग चावल का उपयोग किया जा रहा है। इस आरोप के साथ शिकायतकर्ता ने सम्पूर्ण मामले की जहाज जांच-पड़ताल करवाने का आग्रह किया था।
उल्लेखनीय है कि भारतीय खाद्य निगम द्वारा केन्द्रीय पूल के लिए राज्यों से 29 रुपए प्रति किलो की दर से कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) की खरीद की जाती है।
केन्द्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत राशन कार्ड धारकों को आपूरित चावल के लिए राज्यों की सम्पूर्ण खाद्य सब्सिडी का भार स्वयं उठती है इसलिए उसका खर्च काफी बढ़ जाता है।
यदि इस प्रक्रिया में अधिकारियों एवं राइस मिलर्स की साठ गांठ से भारी घोटाला होता है तो स्वाभाविक रूप से केन्द्र सरकार को भारी चपत लग जाती है। गहन जांच-पड़ताल के बाद ही वास्तविकता सामने आएगी जिसकी प्रक्रिया अब शुरू हो गई है।