नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। 27 अगस्त, 1939 की ही सुबह थी वो, जर्मन वैज्ञानिक अर्नस्ट हाइकल ने किसी बच्चे की मानिंद चहकते हुए जर्मन एयर मिनिस्ट्री के शीर्ष अधिकारी अर्नस्ट उदेट को फोन कर कहा- कैप्टन वार्नित्ज ने दुनिया के पहले जेट विमान, हाइकल एचई-178 को सफलतापूर्वक उड़ा कर लैंड भी करा दिया है।
मजे की बात ये कि हाइकल जितना उत्साहित थे उतना दूसरी ओर फोन का चोंगा थामे बातें सुन रहा अधिकारी नहीं! नींद से जागे अधिकारी ने सुना और सो गया। हाइकल के इस अविष्कार की अहमियत को कुछ ही दिन बाद महसूस किया गया जब दूसरे विश्व युद्ध का ऐलान हुआ, हिटलर की नाजी फोर्स ने पोलैंड पर हमला बोला। जर्मन हवाई सेना लुफ्तवाफे ( जर्मन एयर फोर्स ) को जेट विमानों को और विकसित करने का ख्याल आया और काम जोरो शोरों से शुरू हो गया। लेकिन ये भी सच्चाई है कि इसे एविएशन मिनिस्ट्री ने हरी झंडी नहीं दी।
खैर तारीख इतिहास में दर्ज हो गई। ये वही तारीख है, जब दुनिया के पहले जेट एयरक्राफ्ट 'हाइकल एचई-178' ने उड़ान भरी थी। एयरक्राफ्ट जिसे हाइकल नाम के जर्मन वैज्ञानिक ने तैयार किया था। उन्हीं के नाम से इस पहले जेट विमान का नाम भी हाइकल एचई-178 रखा गया था।
जर्मन वैज्ञानिक हाइकल के बनाए जेट विमान ने सफल उड़ान भरी। लेकिन, ये कभी भी एक्टिव सर्विस में नहीं रहा। बताया जाता है कि इसके प्रदर्शन से जर्मन वायुसेना के अधिकारी खुश नहीं थे। इसलिए जर्मन एविएशन मिनिस्ट्री ने स्वीकार नहीं किया। हाइकल किसी भी एयरफोर्स में शामिल नहीं हुआ।
'हाइकल एचई-178' टर्बो जेट इंजन का उपयोग करके उड़ान भरने वाला पहला विमान था। विमान को जर्मन इंजीनियर अर्नस्ट हेनरिक हाइकल ने 1930 के दशक के मध्य में हंस वॉन ओहैन द्वारा विकसित जेट प्रणोदन अवधारणा का टेस्ट करने के लिए डिजाइन किया था। एचई 178 लकड़ी और एल्यूमीनियम से बना एक छोटा, सिंगल-सीट, हाई-विंग मोनोप्लेन था, जिसमें टर्बोजेट इंजन था। इसे 360 मील प्रति घंटे की गति और 435 मील प्रति घंटे की अधिकतम गति के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन यह केवल लगभग 10 मिनट तक ही उड़ सकता था।
एचई 178 की पहली उड़ान एरिच वार्नित्ज द्वारा संचालित की गई थी, जिन्होंने विमान को धीमा बताया, लेकिन कहा कि यह अधिक ऊंचाई पर तेजी से उड़ता है। उड़ान सफल रहा, लेकिन बाद में जर्मन विमानन मंत्रालय ने विमान को अव्यवहारिक बताते हुए खारिज कर दिया।
--आईएएनएस
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