नई दिल्ली, 15 मार्च (आईएएनएस)। चीनी बैंकों ने रिलायंस (NS:RELI) इंफ्राटेल लिमिटेड के लिए समाधान योजना (रिजॉल्यूशन प्लान) के कार्यान्वयन में देरी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है।चाइना डेवलपमेंट बैंक, एक्सपोर्ट इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना, शुभ होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड और एससी लोवी एसेट मैनेजमेंट ने वित्त मंत्री और आईबीबीआई के अध्यक्ष को रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल) के वित्तीय लेनदारों के रूप में अपनी संबंधित क्षमताओं के तौर पर लिखा है।
सामूहिक रूप से, इन बैंकों पर आरआईटीएल के 41,055 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय ऋण में से कुल 13,483 करोड़ रुपये का वित्तीय ऋण है।
वित्त मंत्रालय और आईबीबीआई को भेजे पत्र में ऋणदाताओं ने रिलायंस इन्फ्राटेल के लिए आईबीसी, 2016 में निर्धारित सख्त समय-सीमाओं के बावजूद अपनी चिंताओं से अवगत कराया है।
पत्र में कहा गया है, इस फंसे कर्ज की वजह से सभी ऋणदाताओं को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
बैंकों ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से उन बोलीदाताओं पर जुर्माना लगाने को भी कहा है जिनकी वजह से पूरी प्रक्रिया में विलंब हुआ है।
रिलायंस कम्युनिकेशंस की फाइबर एवं टावर इकाई रिलायंस इन्फ्राटेल को 41,055 करोड़ रुपये की कर्ज चूक के बाद ऋण समाधान के लिए दिवालिया अदालत के हवाले किया गया था। रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए अलग प्रक्रिया भी यूवी एआरसी के साथ पूरी की गई थी। यूवीएआरसी के सौदे को लेकर मामला अभी भी अदालत में लंबित है। रिलायंस जियो की सहायक इकाई रिलायंस प्रोजेक्ट्स एंड प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सर्विसेज (आरपीपीएमएस) भी कंपनी के लिए सफल बोलीदाता के तौर पर उभरी, लेकिन मामला राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट-मुंबई में विचाराधीन है।
वित्त मंत्रालय को भेजे अपने पत्र में बैंकों ने कहा है, एनसीएलटी ने तीन दिसंबर 2020 को आरपीपीएमएस समाधान योजना स्वीकृत की और 28 दिसंबर को रिलायंस इन्फ्राटेल के पूर्व प्रवतर्क ने धोखाधड़ी के तौर पर एसबीआई (NS:SBI) द्वारा ठगी के तौर पर आरआईटीएल खाते के वर्गीकरण के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय से रोक का आदेश हासिल किया। रिलायंस इन्फ्राटेल अनिल अंबानी परिवार द्वारा प्रवर्तित थी, जबकि रिलायंस जियो उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने यथास्थिति बनााए रखने आदेश दिया, लेकिन भारतीय बैंकों को केंद्रीय जांच ब्यूरो के साथ उपयुक्त शिकायतें दर्ज कराने की अनुमति दी। इसके बाद पांच जनवरी, 2021 को आरपीपीएमएसएल ने एसबीआई से उसकी समाधान योजना पर विपरीत प्रभाव पड़ने का हवाला देने वाली फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट की प्रति मांगी।
इसमें आगे कहा गया है, जनवरी में, एसबीआई और भारतीय बैंकों ने आरआईटीएल और उसके पूर्ववर्ती निदेशकों के खिलाफ सीबीआई के समक्ष शिकायत दर्ज कराई।
इसके साथ ही चीनी बैंकों ने कहा है कि जून 2021 के बाद से इस मामले पर कोई बड़ी सुनवाई नहीं हुई है और आरपीपीएमएस आवेदन अब तक लंबित पड़ा हुआ है।
अपने पत्र में चाइना डेवलपमेंट बैंक ने कहा है कि आरपीपीएमएसएल काफी रियायती कीमत पर आरआईटीएल के टावरों का इस्तेमाल कर रहा है और इस इस्तेमाल को देखते हुए ऋणदाताओं को इन टावरों के रखरखाव पर भारी नुकसान हो रहा है
बैंकों ने एमसीए और आईबीबीआई से तत्काल आधार पर आरपीपीएमएसएल आवेदन में हस्तक्षेप करने और एनसीएलटी से आरपीपीएमएसएल समाधान योजना के कार्यान्वयन का निर्देश देने का अनुरोध करने की गुजारिश की है।
बैंकों ने कहा, आरआईटीएल के वित्तीय लेनदारों और हितधारकों के रूप में, जो 2018 से आरआईटीएल के समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं, हम तत्काल आधार पर आरआईटीएल सीआईआरपी (जहां एक स्पष्ट एनसीएलटी अनुमोदित समाधान योजना है) में आपके हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं।