भोपाल, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। राम ने अपने वनवास काल का ज्यादा समय चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे बिताया था। यही कारण है कि चित्रकूट तीर्थ है। सनातन धर्म में मान्यता है कि कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा करने से मनोकामना पूरी होती है। मंगलवार को जन कल्याण के लिए सात अखाड़ों के तीन सौ से ज्यादा साधु-संत परिक्रमा करने वाले हैं। विभिन्न पर्वों के मौके पर लाखों लोग मंदाकिनी नदी में स्नान करने पहुंचते हैं और कामतानाथ के दर्शन के साथ कामदगिरी की परिक्रमा करते हैं।
मंगलवार को सोशल एंटरप्रेन्योर डाॅ. स्वप्ना वर्मा ने कामदगिरी की परिक्रमा का आयोजन किया है। इस परिक्रमा में सात अखाड़ों के 300 से ज्यादा साधु-संत शामिल होंगे। मान्यता है कि पावन भूमि चित्रकूट स्थित कामदगिरि की परिक्रमा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यहां हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं और नंगे पांव कामदगिरि की परिक्रमा करते हैं। भगवान कामतानाथ उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। कामदगिरि परिक्रमा के मार्ग में अनेक प्राचीन मंदिर हैं और इस परिक्रमा पथ की लंबाई करीब पांच किलोमीटर है। कामदगिरि के चारों ओर पक्का परिक्रमा मार्ग बना हुआ है।
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