रांची, 9 मार्च (आईएएनएस)। झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों के लिए होने वाले चुनाव में उम्मीदवारी की तस्वीर अब साफ हो गई है। भाजपा ने पार्टी के प्रदेश महामंत्री डॉ. प्रदीप वर्मा को आधिकारिक तौर पर प्रत्याशी घोषित कर दिया है। इंडिया गठबंधन में झामुमो के नेता सरफराज अहमद के नाम पर लगभग आम सहमति बन गई है। उन्होंने नामांकन का पर्चा भी खरीद लिया है। हालांकि, उनके नाम का आधिकारिक तौर पर ऐलान नहीं हुआ है।
डॉ. प्रदीप वर्मा लगभग दो दशक से भाजपा से सक्रिय रूप से जुड़े हैं। वह प्रदेश कमेटियों में पिछले दस वर्षों से उपाध्यक्ष, मंत्री, महामंत्री सहित विभिन्न सांगठनिक दायित्वों को संभालते रहे हैं। वह पार्टी के सदस्यता अभियान के प्रदेश प्रभारी भी रहे हैं। इस दौरान उन्होंने पूरे राज्य में घूम-घूमकर अभियान को जिस तरह सफल बनाया, तभी से उन्हें पार्टी में बड़ी जिम्मेदारियों का हकदार माना जा रहा था।
डॉ. वर्मा रांची लोकसभा सीट के लिए भी भाजपा की उम्मीदवारी के प्रबल दावेदार थे। पार्टी ने जब इस सीट पर दूसरी बार संजय सेठ को प्रत्याशी घोषित किया तभी से उम्मीद की जा रही थी कि प्रदीप वर्मा के लिए पार्टी कोई दूसरा बड़ा दायित्व निर्धारित कर सकती है। डॉ. वर्मा रांची स्थित सरला बिड़ला विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी हैं। डॉ. वर्मा ने प्रत्याशी बनाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी शीर्ष केंद्रीय नेताओं के प्रति आभार जताया है।
राज्यसभा की जिस सीट पर भाजपा ने डॉ. वर्मा को प्रत्याशी बनाया है, वह सांसद समीर उरांव का कार्यकाल पूरा होने की वजह से खाली हो रही है। समीर उरांव भाजपा की अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उन्हें पार्टी ने इस बार राज्य की लोहरदगा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है।
राज्यसभा की उम्मीदवारी के लिए भाजपा रांची की निवर्तमान मेयर और पार्टी की राष्ट्रीय मंत्री डॉ. आशा लकड़ा के नाम पर भी विचार कर रही थी। केंद्र सरकार ने उन्हें शनिवार को ही राष्ट्रीय जनजाति आयोग का सदस्य नियुक्त किया है। यह पद केंद्रीय राज्य मंत्री के समकक्ष है।
इधर, राज्यसभा की दूसरी सीट के लिए राज्य के सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की ओर से गांडेय क्षेत्र के पूर्व झामुमो विधायक सरफराज अहमद को प्रत्याशी बनाया जाना तय माना जा रहा है। यह सीट कांग्रेस के धीरज साहू का कार्यकाल पूरा होने की वजह से खाली हो रही है।
बता दें कि बीते जनवरी महीने में जब ईडी की कार्रवाई की वजह से हेमंत सोरेन की सीएम की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा था और पार्टी में हेमंत की जगह उनकी पत्नी कल्पना सोरेन का नाम सीएम पद के लिए सामने आ रहा था, तब सरफराज अहमद ने गांडेय विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया था।
तैयारी थी कि कल्पना सोरेन को सीएम बनाने के बाद उनकी सरफराज अहमद की खाली की गई सीट से विधानसभा पहुंचने की राह प्रशस्त हो सके। बताया जाता है कि विधानसभा सीट खाली करने के एवज में सरफराज अहमद को उसी वक्त राज्यसभा भेजने का वादा किया गया था।
सरफराज अहमद झारखंड मुक्ति मोर्चा के पहले लंबे समय तक कांग्रेस में थे। वह गिरिडीह सीट से कांग्रेस के टिकट पर 1984 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। सरफराज संयुक्त बिहार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
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