नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के सहयोग से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नए प्रयोग हो रहे हैं, जिससे भारत की स्थिति मजबूत हुई है।
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “स्वदेशी उपकरणों के उत्पादन के बावजूद हमें बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मात्रा बढ़ाने की जरूरत है। इस संबंध में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत केरल में श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी और विश्व स्वास्थ्य निकाय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं।”
मंत्री ने कहा, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इस एमओयू का हिस्सा होने पर गर्व है, क्योंकि यह एससीटीआईएमएसटी और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) को वैश्विक स्तर के उद्यमियों संग साझेदारी करने, प्रौद्योगिकियों को लाइसेंस देने और रॉयल्टी के माध्यम से राजस्व सृजन करने की अनुमति देता है।”
उन्होंने कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान का जिक्र करते हुए कहा, “स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देकर और आयात पर निर्भरता को कम करके, यह साझेदारी स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हुए प्रयोगों के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करती है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इन-विट्रो परीक्षण, जीनोमिक्स, सटीक चिकित्सा और वैक्सीन उत्पादन जैसी प्रौद्योगिकियों के विकास से संबंधित विश्व स्तरीय सुविधाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने डब्ल्यूएचओ से मिले सहयोग पर कहा, “विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सहयोग से अधिक प्रौद्योगिकी विकास के साथ-साथ नए इनोवेशन और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।”
--आईएएनएस
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