iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि केन्द्र सरकार पहले से ही इस तरह का संकेत दे रही थी कि यदि गेहूं का घरेलू बाजार भाव ऊंचा और तेज होता है तो वह इसे नियंत्रित करने के लिए स्टॉक सीमा सहित अन्य सख्त कदम उठाने से नहीं हिचकेगी।
लेकिन उद्योग- व्यापार क्षेत्र इस चेतावनी को काफी हल्के में ले रहा था और व इसके फलस्वरूप न तो गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता में बढ़ोत्तरी हो रही थी और ना ही कीमतों में तेजी पर अंकुश लग रहा था। इससे खाद्य महंगाई में तेजी आने लगी थी।
तब सरकार ने अकस्मात गेहूं पर भंडारण सीमा लगाने की घोषणा कर दी जिससे बाजार में निराशा बढ़ गई। जिन लोगों ने आगे दाम बढ़ने की उम्मीद से गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक जमा कर रखा था उसकी परेशानी और घबराहट में आगे और बढ़ोत्तरी हो सकती है क्योंकि सभी प्रभावित पक्षों को सरकारी पोर्टल पर अपने गेहूं के स्टॉक की नियमित घोषणा करने के लिए कहा गया है।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार पिछले करीब 15 वर्षों में पहली बार सरकार ने एक झटके में गेहूं पर स्टॉक सीमा लागू करके यह दिखा दिया है कि वह खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के प्रति कितनी गंभीर है।
व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, बिग चेन, रिटेलर्स तथा प्रोसेसर्स- सभी के लिए उच्चतम स्टॉक सीमा का निर्धारण किया गया है जो चालू वित्त वर्ष के अंत यानी 31 मार्च 2024 तक प्रभावी रहेगी। इससे पूर्व 2 जून को अरहर (तुवर) एवं उड़द के लिए भी उच्चतम स्टॉक सीमा निर्धारित की गई थी।
हैरानी की बात है कि स्वयं केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने चालू वर्ष के दौरान गेहूं का घरेलू उत्पादन बढ़कर 1127 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जो पिछले साल के उत्पादन 1077 लाख टन से 4.6 प्रतिशत ज्यादा है लेकिन फिर भी सरकार को जून में ही इस पर भंडारण सीमा लागू करने पर विवश होना पड़ गया।
यद्यपि आमतौर पर फ्लोर मिलर्स ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे मंडियों में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी जिससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद है लेकिन थोक विक्रेता सरकार के इस फैसले से काफी चिंतित हैं।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा इस बार अनियमित एवं अनिश्चित होने की संभावना है जबकि आगामी महीनों के दौरान कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा का चुनाव होने वाला है इसलिए सरकार खाद्य महंगाई पर लगाम कसने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। स्टॉक सीमा लगाने का निर्णय उसी प्लान का एक हिस्सा है।
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