iGrain India - नई दिल्ली । देश के पांच शीर्ष हल्दी उत्पादक राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान बारिश की भिन्न-भिन्न स्थिति देखी जा रही है।
इसके तहत यद्यपि आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना के प्रमुख उत्पादक जिलों में सामान्य औसत से अधिक बारिश हुई है मगर महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा तमिलनाडु में वर्षा की हालत आमतौर पर कमजोर रही।
मानसून का सीजन अभी जारी है इसलिए अभावग्रस्त इलाकों / जिलों में आगे वर्षा होने की उम्मीद की जा सकती है। जिन जिलों में ज्यादा वर्षा हुई है वहां फसल की अच्छी प्रगति होने के संकेत मिल रहे हैं।
महाराष्ट्र और कर्नाटक लम्बे समय तक कम वर्षा का संकट झेल रहा था। मौसम विभाग के मुताबिक सामान्य औसत की तुलना में इस बार मानसून सीजन के दौरान कर्नाटक के बगलकोट जिले में 15 प्रतिशत तथा बेलगाम में 16 प्रतिशत कम वर्षा हुई जबकि वहां अन्य फसलों के साथ-साथ हल्दी की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है।
इसी तरह महराष्ट्र के प्रमुख हल्दी उत्पादक जिलों में से हिंगोली में 25 प्रतिशत तथा सांगली में 41 प्रतिशत कम बारिश हुई और वहां फसल की हालत कमजोर बताई जा रही है लेकिन नांदेड जिले में सामान्य औसत से 33 प्रतिशत अधिक वर्षा होने से हल्दी की फसल बेहतर स्थिति में है।
बारिश का अभाव तमिलनाडु के महत्वपूर्ण हल्दी उत्पादक जिलों में भी दर्ज किया गया। वहां सामान्य औसत के मुकाबले ईरोड में 40 प्रतिशत, कोयम्बटूर में 22 प्रतिशत तथा सेलम में 15 प्रतिशत कम बारिश हुई।
दूसरी ओर आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना के हल्दी उत्पादक जिलों में अधिशेष बारिश दर्ज की गई। आंध्र प्रदेश के दुग्गीराला तथा गुंटूर में 10 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई जबकि तेलंगाना के निजामाबाद जिले में 42 प्रतिशत, वारंगल में 44 प्रतिशत, निर्मल में 39 प्रतिशत, जगात्याल में 42 प्रतिशत तथा महबूब नगर में 23 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।
तेलंगाना में काफी समय तक मानसून की बारिश का अभाव रहा था लेकिन बाद में वर्षा की हालत बेहतर हो गई। हल्दी फसल की बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है और अब फसल प्रगति के दौर से गुजर रही है।