पटना, 18 सितंबर (आईएएनएस)। हाल के दिनों में जिस तरह से इंडिया गठबंधन आगे की रणनीति बनाने में जुटी है, उनके नेताओं की बयानबाजी भी तेज हो गई है। ऐसे में इंडिया में शामिल दलों के नेताओं के कई बयानों ने विवादों को भी जन्म दिया है। ऐसे में इन बयानों को ही एनडीए हथियार बनाने की जुगाड में हैं।इंडिया के सहयोगी दलों ने जिस तरह सनातन धर्म, रामचरितमानस पर विवादास्पद बयान दिए और बिहार में सरकारी स्कूलों में छुट्टियों की कटौती के दौरान हिंदू पर्व त्योहारों की छुट्टियों को रद्द किया गया, एनडीए इसे चुनाव में मुद्दा बनाने में जुटी है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के झंझारपुर में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए ऐसे मुद्दों को उठाकर इसके संकेत भी दे दिए हैं।।
भाजपा नेता अमित शाह ने झंझारपुर रैली में सरकारी स्कूलों में रक्षाबंधन, कृष्णाष्टमी जैसे पर्वों की छुट्टी रद्द करने का मुद्दा उठाया, हालांकि लोगों के इस निर्णय का विरोध करने के कारण वापस लिए जाने पर लोगों को धन्यवाद भी दिया।
सनातन धर्म के विरोधी बयानों को लेकर भी शाह ने गठबंधन के नेताओं को निशाने पर लिया तो बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा रामचरितमानस को लेकर दिए जा रहे बयानों को लेकर भी सवाल पूछे।
शाह के इन मुद्दों को उठाए जाने के बाद यह तय है कि एनडीए इन मुद्दों को शांत नहीं होने देगी।
भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि भाजपा चुनाव में विकास के मुद्दे को लेकर ही जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने इतने कार्य किए हैं कि हमें अन्य मुद्दों की जरूरत ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के गठबंधन के नेता तुष्टिकरण को लेकर ऐसा बयान दे रहे हैं। रामचरित मानस और सनातन धर्म को लेकर अपमान करने वाली टिप्पणी कोई कैसे सहेगा।
--आईएएनएस
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