गांधीनगर, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुजरात की वित्त सचिव (व्यय) मनीषा चंद्रा ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के खर्च पर नियंत्रण रखने के लिए 18 पन्नों के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।दिशा-निदेशरें में मनीषा चंद्रा ने सभी विभागों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि, यदि चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित फंड का केवल 10 प्रतिशत ही विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है, तो विभाग को कारण बताना होगा कि ऐसे कार्यक्रमों को क्यों जारी रखा जाना चाहिए? इसके लिए पहले वित्त विभाग से अनुमति लेनी होगी।
दिशानिर्देश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल असाधारण मामलों में ही नई जनशक्ति आवश्यकताओं की अनुमति दी जाएगी, यह सभी विभागों को मानव संसाधनों पर निर्भरता को कम करने के लिए और प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करने के लिए नया कदम है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी सरकारी पेरोल पर नहीं होंगे, लेकिन काम आउटसोर्स किया जाएगा। तृतीय श्रेणी या उससे ऊपर की श्रेणी के लिए आउटसोसिर्ंग के आधार पर संविदा पर कोई और हायरिंग नहीं की जाएगी।
वित्त विभाग का मानना है कि यदि कोई सरकारी सहायक आत्मनिर्भर है तो राज्य सरकार के अनुदान को रोक दिया जाना चाहिए, इससे सरकार अतिरिक्त बोझ को बचा सकेगी।
विभाग ने उन बोर्ड और निगमों को बंद करने का भी सुझाव दिया है जिन्होंने पिछले दो वर्षों से सरकारी कार्यक्रम नहीं किए हैं। विभाग के भीतर यह भी सुझाव दिया गया है कि यदि अलग-अलग विंग का सामान्य कार्य हैं, तो ऐसे विंग का विलय किया जाना चाहिए।
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